ग ज ल

बेच कर अपने इरादे, जिन्दगी की राह में.
हो गये मुफलिस पयादे, जिन्दगी की राह में.

दूध तो दूभर हुआ पानी तलक भी मोल का,
घूंट वादों के पिलादे, जिन्दगी की राह में.

दफ्तरों में चूल्हा-चौका, घर में रहती फाईलें,
मन ठिकाने से लगादे, जिन्दगी की राह में.

ना हो ग़र संवाद फिर संवेदना भी क्या करे,
सोच को अपनी हिला दे, जिन्दगी की राह में.

रोता है तो लोग हंसते हैं तुझी पर 'मौदगिल',
यार तू भी मुस्कुरा दे, जिन्दगी की राह में.
--योगेन्द्र मौदगिल

10 comments:

Anil Pusadkar said...

yaar tu bhi muskura de,zindagi ki raah me....... kya baat hai saab,bahut badhiya

Vinay said...

दफ्तरों में चूल्हा-चौका, घर में रहती फाईलें,
मन ठिकाने से लगादे, जिन्दगी की राह में.

bahut baDhiya!

डॉ .अनुराग said...

दफ्तरों में चूल्हा-चौका, घर में रहती फाईलें,
मन ठिकाने से लगादे, जिन्दगी की राह में.

ना हो ग़र संवाद फिर संवेदना भी क्या करे,
सोच को अपनी हिला दे, जिन्दगी की राह में.
bahut khoob....

बालकिशन said...

बहुत खूब.
निराला अंदाज है आपका.
बधाई.

कंचन सिंह चौहान said...

ना हो ग़र संवाद फिर संवेदना भी क्या करे,
सोच को अपनी हिला दे, जिन्दगी की राह में.

waah waah..behatarin

vipinkizindagi said...

ना हो ग़र संवाद फिर संवेदना भी क्या करे,
सोच को अपनी हिला दे, जिन्दगी की राह में.....


bahut achcha
behtarin

नीरज गोस्वामी said...

मोदगिल जी
एक बार फ़िर जिंदगी की राह में परचम फेहराती हुई ग़ज़ल ले कर आए हैं आप....बहुत खूब सूरत और सच्चे शेरों से सजी कामयाब ग़ज़ल.
नीरज

Manish Kumar said...

दूध तो दूभर हुआ पानी तलक भी मोल का,
घूंट वादों के पिलादे, जिन्दगी की राह में.

दफ्तरों में चूल्हा-चौका, घर में रहती फाईलें,
मन ठिकाने से लगादे, जिन्दगी की राह में.

achche ashaar lage ye!bahut badhai

राज भाटिय़ा said...

रोता है तो लोग हंसते हैं तुझी पर 'मौदगिल',
यार तू भी मुस्कुरा दे, जिन्दगी की राह में.
बहुत बहुत धन्यवाद योगेन्द्र मौदगिल जी क्या मोती पिरोये हे हे शेर मे जबाब नही आप का.

योगेन्द्र मौदगिल said...

AAp sabhi ka DHANYAWAD