चार चमचे, चार चाकू, डार्लिंग.
यार हैं सारे हलाकू, डार्लिंग.
पूत की कम्प्यूटरी चैटिंग भरी,
हम समझते थे पढ़ाकू, डार्लिंग.
पाक दामन अब भला किसका रहा,
नापाक हैं पट्ठे लड़ाकू, डार्लिंग.
सारी आंटी, सारे अंकल हो गये,
ताई, बूआ, मामू, काकू, डार्लिंग.
पहन ली खादी, खुदा को खो दिया,
हो गये हिजड़े भी डाकू, डार्लिंग.
--योगेन्द्र मौदगिल
5 comments:
बहुत बढिया.
पूत की कम्प्यूटरी चैटिंग भरी,
हम समझते थे पढ़ाकू, डार्लिंग.
"ha ha ha truth of the day very nice"
पहन ली खादी, खुदा को खो दिया,
हो गये हिजड़े भी डाकू, डार्लिंग.
भाई बहुत जोर का शेर लिखा है आपने...कमाल कर दिया...आप नए काफिये और विषय पर बहुत शानदार और धारदार कलम चलाते हैं
नीरज
पहन ली खादी, खुदा को खो दिया,
हो गये हिजड़े भी डाकू, डार्लिंग.
अच्छा है
शानदार कटाक्ष! वाह भई वाह!
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