सिर्फ दो लाइन

सिर्फ दो लाइन

आप भी मूड में आ लिए

अपना भी धीरे - धीरे बन रहा है

पेश करता हूँ कि



चौराहे की मिटटी को भई  जम कर लज्जा आती है 

दर्ज़न भर बेटों की अम्मां भीख मांगने आती है 

-- योगेन्द्र मौदगिल  

18 comments:

Fauziya Reyaz said...

kya baat hai...brief yet touching...bahut khoob

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

आपकी इन दो पंक्तियों नें ही वो बात कह दी जिसके लिए एक मुक्कमल गजल भी नाकाफी है....

डॉ टी एस दराल said...

दर्ज़न बच्चों की अम्मा और कर भी क्या सकती है।
शेरनी का एक ही काफी होता है।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

Chaurahe ke hamaam mein sab nange hai !
bachche bhee kyaa kare wo bhee bhikmange hai !! :)

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

इन पंक्तियों ने कमाल कर दिया है...मार्मिक बात

Yogesh Verma Swapn said...

jinko ani chahiye unko kyunnahin aati hai
biwi ke ate hi abto sharm bech di jati hai

राज भाटिय़ा said...

दर्जन बच्चे भी कही ओर जाते होंगे भीख मांगने....
आज के बच्चे ऎसे क्यो होते जा रहे है???कही ना कही हमारा ओर समाज का ही कोई कसूर है कोई गलती है....

Udan Tashtari said...

कमाल है..वाह!

ताऊ रामपुरिया said...

कमाल है भाई. बहुत शुभकामनाएं.

रामराम.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

लेकिन ऐसे बच्चों को लज्जा नहीं आती.

नीरज गोस्वामी said...

लानत है ऐसे दर्ज़न भर बेटों को...इस से तो वो बाँझ ही अच्छी...
नीरज

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर said...

इन पंक्तियों पर वाहवाही तो मिल सकती है पर मर्म तो देखिये................. शर्म मिटटी को आती है वहाँ से गुजरने वाले इंसान को नहीं. बच्चों को दोष न दीजिये वे भी पता नहीं कहाँ होंगे..................??????????????
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

kyaa baat....kyaa baat....kyaa baat.....!!

Satish Saxena said...

आपकी इन लाइनों पर पोस्ट लिखने का जी कर रहा है ...आपकी संवेदनशीलता को प्रणाम !

डॉ. मनोज मिश्र said...

vaah-vaah.

Anonymous said...

Very touchy post ! Felt like reading again n again

कविता रावत said...

Vartman jiwan moolya harash aur bigadte pariwarik-samajik prashbhumi ki jeeti-jaagti tasveer do panktion mein sametne ka aapka prayas sarhaniya hai...
bahut badhi

Unknown said...

Wah Sir Kya Baat Hein .... such me lzaa zati hogi mati ...