दो ताउओं के बीच में
कल यानि १९ फ़रवरी को जब मैं
भगवान महावीर फौन्डेशन, जगदीशपुर के कवि सम्मेलन
में था तो दो उल्लेखनीय फोन आए. पहला फोन भाई अंतर सोहिल का था. जो ताऊ मिलन देखने के लिए इतने रोमांचित हैं कि उन्होंने अपना रिजर्वेशन भी करवा लिया..आप सब इसलिए रोमांचित हो सकते हैं कि दो ताउओं के बीच में ये छोरा ....?
दूसरा फोन रस-सिद्ध कवयित्री व्यंजना शुक्ला का था जिसमे १२ मार्च के हरदोई (उ प्र) के विराट कवि सम्मेलन का आमंत्रण था. सो अब १२ मार्च को हरदोई रहूँगा. वहां के ब्लागर बंधु नोट करें.
आज करनाल क्लब, करनाल में
अखिल भारतीय साहित्य परिषद् का कवि सम्मेलन
और साहित्यकार सम्मान समारोह है जिसमे खाकसार को
श्री प्यारेलाल उप्पल स्मृति सम्मान से अलंकृत किया जाएगा.
तो अब समय है कि आप सबके लिए कुछ पंक्तियाँ
देखिएगा कि
मैं हूँ औरत मेरी तो बस ये कथा
पीर, आंसू, शोक, शोषण और व्यथा
मैं भी तेरे पेट से जन्मी थी माँ
मुझमे और भैया में फिर क्या फर्क था
पीट कर पत्नी को पौरुष तृप्त क्यों
इस प्रश्न ने अक्सर ही माथे को मथा
हमने तो हर दौर में पाया यही
झूठ आवश्यक है, सच तो है वृथा
श्रंखलाबद्ध हो गई है "मौदगिल"
उफ़ ! कलंकित भ्रूण हत्या कि प्रथा
--योगेन्द्र मौदगिल
( डाक्टर नूतन जी, संगीता स्वरुप जी, डाक्टर दाराल जी,
भारतीय नागरिक जी, सतीश सक्सेना जी, काजल कुमार जी,
कुंवर जी, प्रवीण पाण्डे जी, श्रीमती आशा जोगलेकर जी,
मनोज मिश्र जी, अभिषेक जी और नीरज गोस्वामी जी
आप सब का स्नेह ही मेरी पूँजी है...इसे बनाए रखें...
समीर लाल जी, रविन्द्र प्रभात जी
आप की राम-राम गरंटेड पहुँच जाएगी...
नरेश राठोड जी चिंता न करे
ये ताऊ बड़े ताऊ के घर का रास्ता भूलने वाला नहीं है
सुनील गज्जानी जी
बीकानेर जल्दी ही आरहा हूँ..
आपका स्वास्थ्य कैसा है...?
धीरू भाई
मिलना पक्का......
और भाटिया जी
एक दर्जन जर्मन लट्ठ जल्दी से भिजवा दो
ताई को देने हैं ताऊ के वास्ते
और प्रिय अंतर सोहिल
तुम्हारी संवेदना को नमन करता हूँ.)