पूरा देश कहीं हिजड़ा तो नहीं हो गया ......

प्रिंट मीडिया
हो या इलेक्ट्रोनिक मीडिया
ख़बरों का संसार
टीवी या अखबार
कुछ भी देख लो मेरे यार
विज्ञापनों ने बदल दी देश की हवा
एनलार्ज, ब्रेस्ट टोनर, उभार और उभारने की दवा
विज्ञापनों कि रेल-पेल
एनर्जिक ३१, सांडा, मस्त कलंदर, जापानी तेल
इन सबको इतनी मात्रा में इतने विस्तार में
पढ़ कर लगता है
देश का पुरुषार्थ कहीं खो गया
और पूरा देश कहीं हिजड़ा तो नहीं हो गया
और शायद हो ही गया है
तभी तो कोई मुंह नहीं खोलता
भरे चोराहे पर हत्या हो जाये या बलात्कार
भरे दफ्तर रिश्वत का गरम बाज़ार
भरे घर में दहेज़ हत्या, भ्रूण हत्या,
गालियां मंडित अनाचार
कोई कुछ नहीं बोलता
कोई कुछ नहीं बोलता
--योगेन्द्र मौदगिल

20 comments:

Unknown said...

rachna tanatan hai ji.........

maza aaya

saamyik aur umda post !

Satish Saxena said...

हे राम कहाँ आ गया ...

प्रवीण पाण्डेय said...

यदि देश में पुरुषार्थ न हो तब तो यही ही कहा जायेगा।

संजय भास्‍कर said...

ला-जवाब" जबर्दस्त!!

आपका अख्तर खान अकेला said...

yogendr ji chotaa munh bdhi bat he lekin aapke heding se men shmt hun shi kha pura desh hijdaa hi ho gya ahe jo is gerqaanuni gorkhdhndhe ko rok paane men naakaamyaab hen qaanun he aese viyaapnon ko chhaapne or chhpvaane pr szaa milegi pulis muqdma drj kregi lekin khin bhi koi karyvaahi nhin hui he isliyen ke desh hijdaa ho gyaa. akhtar khan akela kota rajsthan

आपका अख्तर खान अकेला said...

yogendr bhaayi meri post jo mene aapke heding ko foks kr likhi he jiska shirshk bhi aapka chori kiya he mere blog titl akhtar khan akela p dekhen jo akhtarkhanakela.blogspot.com pr prkashit he dekhen or krpyaa gltiyaan ginaa kr anugrhit kren . akhtar khan akela kota rajsthan

राज भाटिय़ा said...

सहमत हे जी आप से, सही प्रशन पुछा आप ने धन्यवाद

नीरज गोस्वामी said...

समाज के चेहरे पर झन्नाटे दार थप्पड़ रसीद करती हुई रचना...जै हो...

नीरज

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

पूरा देश कहीं हिंजड़ा तो नहीं है ....

बिलकुल सही पहचाना ........... एनार्जिक ३१ क्या असर करेगा भला ?

nilesh mathur said...

बहुत सुन्दर, ज़बरदस्त, बेहतरीन!

डॉ. मनोज मिश्र said...

वाकई पुरुषार्थ खोगया है,बेहतरीन रचना.

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

हिन्जडो मे भी तो आत्मसम्मान होता है यहा तो आत्मसम्मान ही खो गया है

विनोद कुमार पांडेय said...

सही है..प्रणाम ताऊ जी...तीखा व्यंग्य

योगेन्द्र मौदगिल said...

@ धीरू भाई असली हिजड़ो में आत्मसम्मान होता है..पर यहाँ तो हिजड़े भी असली नहीं...

@ सतीश भाई...आपके कमेन्ट से एक बात और निकली है...अगली पोस्ट पर शायद आज शाम तक ही लगा दूंगा.

Dr Xitija Singh said...

कब तक खामोश रहेंगे .. कोई कुछ बोलता क्यूँ नहीं ...
आपको और आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

antas ki tadaf abhivyakt ho rahi hai..
vastav me sthiti chitajanak hai..

Parul kanani said...

ek dam kasa hua vaar hai ::)

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

इस पर मैं भी लिखने की सोच रहा था.. आपने कविता में सब कुछ उकेर दिया.

राजीव तनेजा said...

कटु परन्तु सत्य

Dimple Maheshwari said...

जय श्री कृष्ण...आप बहुत अच्छा लिखतें हैं...वाकई.... आशा हैं आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा....!!