आज पानीपत में कवि -सम्मेलन हैं.
आज के संयोजकीय तनाव से उबर कर कल से नार्मल हो जाऊंगा.
इसके बाद भी कुछ दिन छुट्टी रहेगी
१६ से १९ माँ वैष्णो देवी के दर्शनार्थ यात्रा पर रहूँगा
पानीपत सांस्कृतिक मंच के टोले के साथ.
२० को कविता वाचक्नवी जी से पानीपत में भेंट रहेगी.
२४ से ३० तक गोरखपुर, मुंबई, सिलवासा की
कविसम्मेलनीय यात्राएं.
इस बीच जहाँ भी वक़्त मिला आप सब से मिलता रहूँगा..
बहरहाल कई दिनों के बाद
आज वक़्त है कि
एक ग़ज़ल आप सब की खिदमत में पेश करूं.
आज वक़्त है कि
एक ग़ज़ल आप सब की खिदमत में पेश करूं.
इसलिए फिलहाल आप ग़ज़ल का आनंद लें
और बताएं कैसी लगी.......
और बताएं कैसी लगी.......
कि
ज़रा सी बात पर जो आना-जाना छोड़ देते हैं.
सुहाने ख्वाब मस्ती के भी आना छोड़ देते हैं.
कसम से सिरफिरेपन की भी कोई हद्द नहीं होती,
ज़माना छोड़ने वाले ज़माना छोड़ देते हैं.
ये पंछी और बनजारे फितरतन एक जैसे हैं,
अगर दाना नहीं मिलता ठिकाना छोड़ देते हैं.
वृद्धाश्रम तामीर करने की सनक में लोग,
घर में माँ-बाप से मिलना-मिलाना छोड़ देते हैं.
ये शीशों के महल वालों के जलवे ही निराले हैं,
ये पत्थर बाँट कर बत्ती बुझाना छोड़ देते हैं.
--योगेन्द्र मौदगिल
26 comments:
प्यारी ग़ज़ल
बेहतरीन ग़ज़ल ......
आप भी तो बीच बीच की यायावरी में,
ब्लॉग पर अक्सर आना छोड़ देतें है ;)
कवि समेलन के लिए शुभकामनाए ...
... bahut sundar ... behatreen !!!
बेहतरीन...
lajawab ........
बहुत बढ़िया ...
योगेन्द्र जी
बढ़िया जी बढ़िया !
प्यारी रचना है …
अपना ध्यान रखिएगा और हमें भी याद कर लिया करें :)
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
योगेंदर जी बहुत अच्छी लगी आप की कविता, इस बार तो चुक गये आप की कविता को सुनने के लिये, थोडी ही सुनी, लेकिन अगले बरस सुनेगे सारी रात आप की कविता, धन्यवाद
वाह अपके पांव में भी पहिये लगे हैं :)
व्यस्त जीवन, सुन्दर कविता।
जिन कार्यक्रमों के लिये पांव में पहिये लगवाये हैं उनमे आपको सफ़लता मिले, यात्रा निविघ्न संपन्न हो, यही प्रार्थना है.
रामराम.
वाह! क्या बात है, बहुत सुन्दर!
जय माता दी...गुरुवर...
जय हिंद...
jai ho prabhu!
behtareen gazal.
भाई जी कसम से बार बार पढ़ कर भी दिल ना भर रा...गज़ब की गज़ल कही है आपने...ये शीशों के महल वालों ...वाले शेर ने जान ही निकाल दी...जियो भाई जी जियो...और लिखते रहो...
नीरज
आदरणीय योगेन्द्र जी
नमस्कार !
..... बढ़िया प्यारी रचना है !
koi jwab nahi,waah!
ये पंक्षी और बंजारे फितरतन एक होते हैं ,
अगर दाना नहीं मिलता ठिकाना छोड़ देते हैं !
वाह,
ग़ज़ल के हर शेर अच्छे बन पड़े हैं !
बधाई,
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
वाह! क्या गज़ल कही है...यात्रा और सम्मेलनों के लिए शुभकामनाएँ.
भगवान करे आपको एक दिन की भी फुर्सत ना मिले | बहुत बढ़िया गजल है |
Ghazal pasand aayi. Doosra Sher aur aakhri do sher khaas pasand aaye.
Pranaam
RC
Ghazal pasand aayi. Doosra Sher aur aakhri do sher khaas pasand aaye.
Pranaam
RC
बस नुंए हांडते रहो साल भर:)
नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं
चुड़ैल से सामना-भुतहा रेस्ट हाउस और सन् 2010 की विदाई
सुदूर खूबसूरत लालिमा ने आकाशगंगा को ढक लिया है,
यह हमारी आकाशगंगा है,
सारे सितारे हैरत से पूछ रहे हैं,
कहां से आ रही है आखिर यह खूबसूरत रोशनी,
आकाशगंगा में हर कोई पूछ रहा है,
किसने बिखरी ये रोशनी, कौन है वह,
मेरे मित्रो, मैं जानता हूं उसे,
आकाशगंगा के मेरे मित्रो, मैं सूर्य हूं,
मेरी परिधि में आठ ग्रह लगा रहे हैं चक्कर,
उनमें से एक है पृथ्वी,
जिसमें रहते हैं छह अरब मनुष्य सैकड़ों देशों में,
इन्हीं में एक है महान सभ्यता,
भारत 2020 की ओर बढ़ते हुए,
मना रहा है एक महान राष्ट्र के उदय का उत्सव,
भारत से आकाशगंगा तक पहुंच रहा है रोशनी का उत्सव,
एक ऐसा राष्ट्र, जिसमें नहीं होगा प्रदूषण,
नहीं होगी गरीबी, होगा समृद्धि का विस्तार,
शांति होगी, नहीं होगा युद्ध का कोई भय,
यही वह जगह है, जहां बरसेंगी खुशियां...
-डॉ एपीजे अब्दुल कलाम
नववर्ष आपको बहुत बहुत शुभ हो...
जय हिंद...
आपको और आपके परिवार को मेरी और मेरे परिवार की और से एक सुन्दर, सुखमय और समृद्ध नए साल की हार्दिक शुभकामना ! भगवान् से प्रार्थना है कि नया साल आप सबके लिए अच्छे स्वास्थ्य, खुशी और शान्ति से परिपूर्ण हो !!
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