बधाई के बावजूद.........

दीपावली कि अनंत असीम शुभकामनाओं के साथ

बधाई के बावजूद

प्रस्तुत करता हूँ
कि

ज्यादा पुराणी बात नहीं,
लगभग अस्सी के दशक में
अगर कोई लड़की कहती थी
कि माँ मैं जींस की पेंट पहन लूं तो
माँ कहती थी
बेटी लोग क्या कहेंगें

उसके बाद टीवी का ज़माना आया
टीवी ने घर-घर में जाने क्या सिखलाया
कि आज
बेटी कहती है
माँ मैं मिनी स्कर्ट पहन लूं
तो माँ कहती है
पहन ले.... पहन ले...
अरी मरजाणी कुछ तो पहन ले....

एक मित्र ने मुझे ये दृष्टान्त सुनाया
तो मेरी समझ में आया

आजकल कि जवानी
तो उफनता पानी है
घर-घर कि यही कहानी है

मित्रों
एक बुजुर्ग ने
नई बहु को पास बुलाया
प्यार से समझाया बेटी
ये पूरे का पूरा हिन्दुस्तान
तुम्हारा घर है
और घर में घुमते समय
ध्यान रखो कि
शर्म ही भारतीय स्त्री का जेवर है

बहू मुस्कुराई
ससुर के पास सरक आई
बोली
ससुर जी
आपके इस प्रश्न पर तो
पूरा भारत मौन है
ये तो बतलाइए
आजकल
जेवर पहनता कौन है.....
आजकल
जेवर पहनता कौन है.....
--योगेन्द्र मौदगिल

31 comments:

Majaal said...

ये दिवाली में कैसे पटाखे छोड़ रहे है योंगेंदर साहब , पता नहीं क्या आप को लस्सन बम बैन हो चुके है ;)

बढ़िया व्यंग्य,लिखते रहिये .....

केवल राम said...

वाह क्या बात है .....कुल मिलकर आपने वक़्त को हालत के साथ जोड़कर अपना मंतव्य हमारे सामने रखा .....सुभानअला

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत तीखा कटाक्ष ....अच्छा व्यंग ...

राज भाटिय़ा said...

्योगेंदर भाई एक बात यह हे कि भारत मे बेशर्मी इन गोरो से ज्यादा हे, ओर हम हेरान होते हे आज के भारतिया बच्चो को देख कर, हम ने तो बच्चो को बोल दिया हे कि अगर तुमे कोई गोरी दोस्त मिले तो हमे कोई ऎतराज नही....आप की बातो से आप के विचार से सहमत हे

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

बरबस ही मुस्कान आ गयी..

डॉ टी एस दराल said...

आजकल कुछ ऐसा ही हाल है योगेन्द्र भाई ।
आजकल शर्माते तो बुजुर्ग हैं पहनावा देखकर ।

प्रवीण पाण्डेय said...

मूल्य बदल रहे हैं, समाज के।

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

सच है आजकल जेवर पहने नही तिजोरी मे ही रखे जाते है

रानीविशाल said...

करारा कटाक्ष है किन्तु है तो यथार्थ ....आभार
आपको भी सपरिवार प्रकाश पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ !!
उल्फ़त के दीप

राजीव तनेजा said...

बात तो सही है...आजकल ज़ेवर पहनता कौन है?...
बढ़िया...सामयिक रचना

nilesh mathur said...

बेहतरीन कटाक्ष !
आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामना!

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

महाराज! यों तो विकास की सीढी के पायेदान हैं....
दिपावली की हार्दिक शुभकामनाऎँ!!!

Udan Tashtari said...

बहुत सही!!



सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

-समीर लाल 'समीर'

Satish Saxena said...

समय के साथ कितना परिवर्तन आया है ? यह कटाक्ष नहीं सही और आज की हकीकत दर्शाती रचना है ! हार्दिक शुभकामनायें !

अन्तर सोहिल said...

जीइईईईईईईईईईइस्स्स्स्स्स्स्सा आग्या।

आपका कोई जवाब नहीं है।
सच दिखाती एक सुन्दर रचना के लिये आभार

प्रणाम

ASHOK BAJAJ said...

'असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मा अमृतं गमय ' यानी कि असत्य की ओर नहीं सत्‍य की ओर, अंधकार नहीं प्रकाश की ओर, मृत्यु नहीं अमृतत्व की ओर बढ़ो ।

दीप-पर्व की आपको ढेर सारी बधाइयाँ एवं शुभकामनाएं ! आपका - अशोक बजाज रायपुर

विनोद कुमार पांडेय said...

मजेदार व्यंग...यह आपका खास अंदाज है जिस वजह से इतनी लोकप्रियता मिली है..प्रणाम स्वीकारें और दीवाली की हार्दिक बधाई भी..

BrijmohanShrivastava said...

आप को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
मैं आपके -शारीरिक स्वास्थ्य तथा खुशहाली की कामना करता हूँ

Dr.Ajmal Khan said...

दीपावली की शुभकामनाएं......

नीरज गोस्वामी said...

भाई जी जब भी करते हो पते की बात करते हो...इसलिए हम कहते हैं आपकी जय हो...
दीवाली की शुभकामनाएं.

नीरज

RAJWANT RAJ said...

aap mere blog pr aaye ,vkt nikala , protsahit kiya bhut bhut aabhari hu .
aap ki ye prstuti smaj me faili tmam ayatit anuchit anukrn ki or dhyan akrshit krati hai .aisi rchnao ki alg hi ahmiyt hai bshrte log smjhe our aml me laye .

RAJWANT RAJ said...

aap mere blog pr aaye ,vkt nikala , protsahit kiya bhut bhut aabhari hu .
aap ki ye prstuti smaj me faili tmam ayatit anuchit anukrn ki or dhyan akrshit krati hai .aisi rchnao ki alg hi ahmiyt hai bshrte log smjhe our aml me laye .

Asha Joglekar said...

Jordar wyang. Deepawali shubh mangal rahee hogee. Bhiya dooj kee shubh kamnaen.

जितेन्द्र ‘जौहर’ Jitendra Jauhar said...

देखा...हुज़ूर!
मैंने आपको खोज ही लिया न...?
वो कहते हैं न कि- "जिन खोजा, तिन पाइयाँ..."

अच्छा लगा आपसे यहाँ मिलकर!

डॉ० डंडा लखनवी said...

सराहनीय लेखन....हेतु बधाइयाँ...ऽ. ऽ. ऽ
चिठ्ठाकारी के लिए, मुझे आप पर गर्व।
मंगलमय हो आपको, सदा ज्योति का पर्व॥
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
+++++++++++++++++++++

एक दिन मेरी दिवाली जेब खाली हो रही।
माफियों की रोज ही देखो दिवाली हो रही॥
सेक्स परिर्वतन का चक्कर क्या चला इस दोर में-
जो कभी थाना था, वो अब कोतवाली हो रही॥
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी

डॉ. मोनिका शर्मा said...

समाज के बदलते मूल्यों पर बेहतरीन व्यंग......

Pritishi said...

[frowns ...]

वीरेंद्र सिंह said...

बहुत बढ़िया व्यंग रचना.

Dr (Miss) Sharad Singh said...

kya khoob likha hai ! badhai.

Smart Indian said...

बदलते समय के लक्षण!

Smart Indian said...

बदलते समय के लक्षण!