मित्रों, नमस्कार.....
३ अक्टूबर को करनाल में कवि-गोष्ठी थी.
जिसमें मेरे साथ विनोद पाण्डेय, प्रेम सेठी, ओम प्रकाश उल्फत व् कुछ ओर कवि उपस्थित रहे.....
११ अक्टूबर को राजकीय कोलेज तिगावं में और शाम को फरीदाबाद में
सरदार प्रताप सिंग फौजदार, गजेन्द्र सोलंकी, शम्भू शिखर दिल्ली से, पानीपत से मैं और जींद से जगबीर राठी दोनों ही कार्यक्रमों में रहे..
१२ अक्टूबर को नैशनल चैनल पर कविता पाठ रहा....
आज १३ अक्टूबर को समय मिल ही गया की एक पोस्ट डाल दूं...
१६ अक्टूबर को लखनऊ,
१८ अक्टूबर को दिल्ली
२० अक्टूबर को फिर दिल्ली
२३ को अहमदाबाद
२४ को कासगंज रहूँगा....
इन नगरों के ब्लोगर बंधू नोट करें..
फिलहाल ४ पंक्तियाँ और अलविदा.... मौका मिला तो उपस्तिथि दर्ज करवाउंगा....
फूहड़ता की धूम मची है जित देखो उस ओर सखे.
तुम भी आँखें मूंदोगे तो कौन करेगा गौर सखे..
वो मस्ती, वो अलबेलापन, भोलापन सब छूट गया,
घर में टीवी ने बतलाया है नंगों का दौर सखे....
--योगेन्द्र मौदगिल
०९८९६२०२९२९, ०९४६६२०२०९९
19 comments:
ब्लोगनवा में भी तो बचे है, गिने चुने ही कवि श्रीमन,
और आप भी अब छोड़ ब्लोगवा, चले गोष्ठी की ओर सखे ...
खैर, आपको आपके सम्मेलनों के लिए शुभकामनाए .... यहाँ भी कायम रहने का प्रयास करें ...
इस बिज़ी सेड्युल के लिए बधाइयाँ योगेन्द्र जी ।
मिला वक्त तो दिल्ली में मिलें शायद ।
shubhkamnae.....
वाह वाह्! बहुत खूब.....
आपकी व्यवस्तताएं यूं ही सदैव बरकरार रहें.....
एक दम सटीक.
प्रभु आपके पांव में लगे पहिये यूं ही चलाए रखे :)
क्या केलेंडर है । शुक्रिया कि आपने हमारे लिये समय और कविती निकाल ही लिये ।
आंखें मूंदना ही अब अच्छा लगता है
गौर करने पर तो ............................देखना होगा ।
भाई जी आप तो जहाँ जाओगे झंडे ही गाडोगे...आपकी तारीफ़ ही येही है बिना झंडे गाडे मानते ही नहीं...आपने तो हम जैसे लोगों के दिलों में झंडे इतने गहरे गाड़ दिए हैं के कमबख्त जोर लगाने पे भी ना निकलते...
कभी मुंबई भी एक आध सम्मलेन करवा लो हम भी दीदार कर लें आपका...
लखनऊ यात्रा की अग्रिम शुभकामनाएं...जिंदगी में मजे करना लिखवा के आये तो कोई क्या बिगाड़ लेगा आपका :-)
नीरज
लखनऊ में आपका स्वागत है।
मेरा नम्बर नोट कर लें- 9935923334
................
वर्धा सम्मेलन: कुछ खट्टा, कुछ मीठा।
….अब आप अल्पना जी से विज्ञान समाचार सुनिए।
... बहुत सुन्दर !
अनेक शुभकामनाएँ..लगे रहिये..जमाये रहिये माहौल!
बढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.
ढेर सारी शुभकामनायें.
संजय कुमार
हरियाणा
................ढेर सारी शुभकामनायें.
VAAh...kya baat hai..Shrimaan ji.
ye 4 pannktiyan to Vehad umda hai.
वाह जनाब, वाह..
दशहरा की ढेर सारी शुभकामनाएँ!!
समझ गए हम जिस और इशारा,
घर से बाहर ही लगता बेहतर सारा
व्यस्तताओं कि कमीं न रहे, यही दुआ है..............
सुन्दर रचना पर हार्दिक बधाई...........
चन्द्र मोहन गुप्त
रोहतक में तो मिलेंगे न
ताज़ा पोस्ट विरहणी का प्रेम गीत
बहुत सुन्दर .. शुभकामना
aap jaise mhan vyktitv se jb prshnsa mili to bhut bhut achchha lga sath hi our achchha likhne ki prerna mili . emandari se puri koshish krungi is ksauti pr khre utrne ki .
blog pr aane our aashirvad dene ke liye bhut bhut dhnywaad .
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