ढेर सारा प्यार, दुलार और नमस्कार...........

सम्मान्य मित्रों,
लगभग सवा माह के अन्तराल के पश्चात 
हार्ड डिस्क पुन: बदल कर मुझे मिली 
इस बीच काव्य यात्राओं में घनघोर व्यस्तता के बावजूद एक अजीब सा खालीपन सालता रहा 
एक बार फिर आप सबके पास हूँ 
दो चार दिन अभ्यस्त होने में लगेंगें 
तब तक के लिए ढेर सारा प्यार, दुलार और नमस्कार...........
--योगेन्द्र मौदगिल

9 comments:

Unknown said...

स्वागत है जी फिर से...........

आओ और छा जाओ.........

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

Its Too Much,'' do-chaar din lenge aap ko ????

राज भाटिय़ा said...

स्वागत है जी, लेकिन हार्ड डिस्क बदलने मै तो दो मिंट लगते है, ओर आप के दुकानदार ने सवा महीना लगा दिया...

राजभाषा हिंदी said...

सुस्वागतम!
काव्य प्रयोजन (भाग-१०), मार्क्सवादी चिंतन, मनोज कुमार की प्रस्तुति, राजभाषा हिन्दी पर, पधारें

राजीव तनेजा said...

पुन: स्वागत है आपका इस मकडजाल की दुनिया में ...:-)

अन्तर सोहिल said...

बेसब्री से इंतजार है जी

प्रणाम

दिगम्बर नासवा said...

आपकी चुटीली रचनाओं की प्रतीक्षा है ...

Parul kanani said...

awesome!

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

kuchh bareilly ke sammellan ka bhi ho jaaye...