आज के ६ दोहे......

आज के ६ दोहे बिना किसी लाग-लपेट के प्रस्तुत हैं
सम्बन्धों की इस कदर टुकड़े-टुकड़े डोर
पिता खड़ा इस ऒर तो पुत्र खड़ा उस ऒर

पिता-पुत्र में ठन गयी निकल पड़ी तलवार
बूढ़ा बरगद रो पड़ा देख समय की धार

हाथ-पांव ढीले पड़े मुरझा गया शरीर
बेटे बोले बाप से खिंचवा ले तस्वीर

घोड़ी चढ़ने तक रहा मैं अम्मां की आस
पांव बहू के क्या पड़े अम्मां हो गयी सास

जनवासे में देख कर वर का मान-गुमान
बाबू जी बिलखे बहुत कर के कन्यादान

दादी क्यों नहीं मानती पोती शीतल छांव
सुन-सुन ताने कांपते बहू के भारी पांव

--योगेन्द्र मौदगिल

16 comments:

विनोद कुमार पांडेय said...

भावपूर्ण और बेहतरीन दोहे...बिल्कुल सटीक एवं सामाजिक ..यही खास बात है आपकी रचना का जन-जीवन से एकदम जुड़ा हुआ..भाव..प्रणाम ताऊ जी

समयचक्र said...

बहुत बढ़िया भावपूर्ण दोहे..... आभार

रानीविशाल said...

Bahut Sundar....har ek doha apane aapme bahut bhadiya hai!
Dhanywad

राजभाषा हिंदी said...

सुंदर प्रस्तुति!

हिन्दी हमारे देश और भाषा की प्रभावशाली विरासत है।

के सी said...

इस बार दोहे कमाल के हैं. शाहिद मीर साहब की खास पहचान हिन्दुस्तानी भाषा को देख कर, उनकी याद दिला दी. शुभकामनाएं

सर्वत एम० said...

व्यावसायिक युग में रिश्तों के जो चीथड़े उड़े हैं, अच्छी व्याख्या पेश की है आपने दोहों में. मुझे भी यह कहते हुए दुःख हो रहा है कि आप को पहले क्यों नहीं ढूँढा. मेरे एक शायर मित्र हैं-के.के.सिंह 'मयंक', उनका एक शेर पेश कर रहा हूँ--
"बेटे से कल कहा जो किसी काम के लिए
बोला, किसी के बाप का नौकर नहीं हूँ मैं".
आपके दोहों ने मन में स्थान बना लिया है, निकलते ही नहीं.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सारे दोहे रिश्तों पर प्रश्नचिह्न लगा रहे हैं ...बहुत सार्थक

Majaal said...

रिश्तों का ये हाल की , क्या करिए 'मजाल',
मुसीबत के वक़्त ही, अब आती नानी याद!

hem pandey said...

पिता-पुत्र में ठन गयी निकल पड़ी तलवार
बूढ़ा बरगद रो पड़ा देख समय की धार

- बूढ़े बरगद की यह वेदना सब की वेदना है.

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

रोज़ एक दोहा बढ़ाते जा रहे हो. फिर न कहना एक दिन, ओह ये तो ख़त्म हो गए :) सुंदर.

वीरेंद्र सिंह said...

saare dohe bahut achhe lage sir lekin Pahla doha to bahut hi badiya.

NayiVacancy said...

bahut mast hai ji..

Yogesh Verma Swapn said...

bahut khoob maudgil ji , samaj ko jhakjhorte dohe. badhaai.

दिगम्बर नासवा said...

समय से जवाब माँगते हैं सब दोहे ... तीखे ....

निर्मला कपिला said...

बहुत देर बाद आने के लिये हाथ जोड कर क्षमा चाहती हूँ। आपको जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें।

अनुपमा पाठक said...

sundar rachna!