तीन दोहे .......

रेमिंगटन की-बोर्ड में 'ज्ञ' नहीं मिला.
कट्टिंग-पेस्ट का आइडिया अच्छा है. इसके लिए आभार..
आज की यह पोस्ट ब्लोगर मित्र विनोद पाण्डेय को समर्पित. 
जो कल नोएडा से पानीपत आकर सारा दिन मेरे साथ सिर्फ इसलिए रहे 
कि उन्हें मुझसे मिलना था 

बहरहाल वायदे के अनुसार आज 
तीन दोहे 
प्रस्तुत हैं 
कि 


वानप्रस्थ जब खोजता, माया व मधुमास. 
तब-तब हिस्से राम के, आता है बनवास..

भगवों पर भारी हुए, अब तो धन के ईश.
संतों ने भी बेचने, शुरू किये आशीष..

ना मन में संवेदना, ना रिश्तों में ठाट.
घर में रखता कौन है, आज फ़ालतू खाट..
--योगेन्द्र मौदगिल


30 comments:

संजय भास्‍कर said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति ..

स्वंत्रता दिवस की बधाइयां और शुभकामनाएं

संजय भास्‍कर said...

ग़ज़ब लिखा है ......

Satish Saxena said...

आनंद आ गया योगेन्द्र भाई ?
http://satish-saxena.blogspot.com/2010/08/blog-post_15.html
तुमने पी कर ले अंगडाई मुफ्त हमें बदनाम कर दिया

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

मेह ने लगा दी त्यौहार की बाट
रेड़& व्हाईट ने खड़ी कर दी खाट

आजादी की राम राम

Udan Tashtari said...

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.

सादर

समीर लाल

पी के शर्मा said...

बनकर कोई फालतू आता नहीं जनाब
अब तो लेने छोड़ दो गये दिनों के ख्‍वाब

M VERMA said...

हार्दिक अभिनन्दन स्वतंत्रता दिवस की
सुन्दर दोहों की सौगात ..

राम लाल said...

बात तीनों दोहों की ही ख़ास है पर बाबाबाज़ी वाला गहरी बात कहता है.

विनोद कुमार पांडेय said...

ताऊ जी ..आपसे मिलने की इच्छा लेकर आया और जीवन की बहुत सी बातें जो आत्मविश्वास बढ़ाती है,आपसे सीखने को मिला..सबसे बड़ी बात आप जैसे बड़ों विद्वान जनों का आशीर्वाद मेरे लिए सौभाग्य की बात है..प्रणाम

वाणी गीत said...

ये दोहे नहीं सच्चाई का लेप चढ़ी कटार हैं ...
तीनों ही एक से बढ़कर एक ..!

कविता रावत said...

bahut gahre bhaon se bhari dohe...
Sachai se ot-prot
स्वाधीनता-दिवस की हार्दिक शुभकामनायें...जय हिंद !!

राजेश उत्‍साही said...

लो योगेन्‍्द्र जी हम आ गए लेकर वाइन गंध
अपना नहीं किसी अख'बार'से कोई भी संबंध

राजेश उत्‍साही said...

रेमिग्‍टन की बोर्ड में अंग्रेजी के के अल्‍फाबेट को शिफ्ट की से दबाकर प्राप्‍त किया जा सकता है। अपन भी रेमिग्‍टन के जमाने के टंकक हैं।

सुज्ञ said...

योगेंद्र जी,
भावपूर्ण कालातित रचनाएं है,
हर दोहा जीवन के एक भाव की व्याख्या कर देता है।
आभार

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

साधु साधु . आपका आशीष तो अभी मुफ़्त ही होगा शायद

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत सुन्दर दोहे ...अच्छा व्यंग

राज भाटिय़ा said...

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!

Parul kanani said...

too too gud sir ! :)

डॉ टी एस दराल said...

वाह , तीनों दोहे बेहतरीन ।
जय हिंद ।

रचना दीक्षित said...

योगेन्द्र जी

दोहे तो बहुत ही सामायिक है, बेहतरीन, बधाई स्वीकार करें . ब्लॉग आने के लिए धन्यबाद एवं आपको स्वतंत्रता दिवस पर ढेरों शुभकामनाएं.

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत बेहतरीन

रामराम.

शारदा अरोरा said...

ज्ञ के लिए gy टाइप करें ।
बढ़िया दोहे ..वाह जी वाह .

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

बहुत खूब मौदगिल सहाब, लाजाबाब दोहे !

Urmi said...

*********--,_
********['****'*********\*******`''|
*********|*********,]
**********`._******].
************|***************__/*******-'*********,'**********,'
*******_/'**********\*********************,....__
**|--''**************'-;__********|\*****_/******.,'
***\**********************`--.__,'_*'----*****,-'
***`\*****************************\`-'\__****,|
,--;_/*******HAPPY INDEPENDENCE*_/*****.|*,/
\__************** DAY **********'|****_/**_/*
**._/**_-,*************************_|***
**\___/*_/************************,_/
*******|**********************_/
*******|********************,/
*******\********************/
********|**************/.-'
*********\***********_/
**********|*********/
***********|********|
******.****|********|
******;*****\*******/
******'******|*****|
*************\****_|
**************\_,/

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ !

वन्दना अवस्थी दुबे said...

स्वाधीनता दिवस पर हार्दिक शुभकामानाएं.

Pritishi said...

Pranaam.
Teeno dohe lajawaab hain magar aakhri do dohon ke liye mera vishesh salaam ! Hats off !

Anupastithi ke liye maafi chaahti hoon ... kaam-kaaj ne kuchh maheeno ke liye shahar se door kar diya tha .. lautkar ghar ki tah lagaane me vyastataa badh gayi hai :(

Rajeev Bharol said...

वाह. तीनो दोहे लाजवाब. 'वानप्रस्थ' वाल दोहा तो क्या कहने.

राजभाषा हिंदी said...

सुंदर प्रस्तुति।


राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की शीघ्र उन्नति के लिए आवश्यक है।

नीरज गोस्वामी said...

तीनो दोहे गाँधी जी के तीन बंदरों की तरह शिक्षा देते हुए बेहतरीन...आपका जवाब नहीं भाई जी....लाजवाब हो...सच्ची...
नीरज

दिगम्बर नासवा said...

तीनो दोहे ... यथार्थ तीखा व्यंग लिए ... समाज की व्यवस्था का बखान कर रहे हैं ....