व्यंग्य-कवि एवं ग़ज़लकार
kya baat hai...brief yet touching...bahut khoob
आपकी इन दो पंक्तियों नें ही वो बात कह दी जिसके लिए एक मुक्कमल गजल भी नाकाफी है....
दर्ज़न बच्चों की अम्मा और कर भी क्या सकती है।शेरनी का एक ही काफी होता है।
Chaurahe ke hamaam mein sab nange hai !bachche bhee kyaa kare wo bhee bhikmange hai !! :)
इन पंक्तियों ने कमाल कर दिया है...मार्मिक बात
jinko ani chahiye unko kyunnahin aati haibiwi ke ate hi abto sharm bech di jati hai
दर्जन बच्चे भी कही ओर जाते होंगे भीख मांगने....आज के बच्चे ऎसे क्यो होते जा रहे है???कही ना कही हमारा ओर समाज का ही कोई कसूर है कोई गलती है....
कमाल है..वाह!
कमाल है भाई. बहुत शुभकामनाएं.रामराम.
लेकिन ऐसे बच्चों को लज्जा नहीं आती.
लानत है ऐसे दर्ज़न भर बेटों को...इस से तो वो बाँझ ही अच्छी... नीरज
इन पंक्तियों पर वाहवाही तो मिल सकती है पर मर्म तो देखिये................. शर्म मिटटी को आती है वहाँ से गुजरने वाले इंसान को नहीं. बच्चों को दोष न दीजिये वे भी पता नहीं कहाँ होंगे..................??????????????जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
kyaa baat....kyaa baat....kyaa baat.....!!
आपकी इन लाइनों पर पोस्ट लिखने का जी कर रहा है ...आपकी संवेदनशीलता को प्रणाम !
vaah-vaah.
Very touchy post ! Felt like reading again n again
Vartman jiwan moolya harash aur bigadte pariwarik-samajik prashbhumi ki jeeti-jaagti tasveer do panktion mein sametne ka aapka prayas sarhaniya hai...bahut badhi
Wah Sir Kya Baat Hein .... such me lzaa zati hogi mati ...
Post a Comment
18 comments:
kya baat hai...brief yet touching...bahut khoob
आपकी इन दो पंक्तियों नें ही वो बात कह दी जिसके लिए एक मुक्कमल गजल भी नाकाफी है....
दर्ज़न बच्चों की अम्मा और कर भी क्या सकती है।
शेरनी का एक ही काफी होता है।
Chaurahe ke hamaam mein sab nange hai !
bachche bhee kyaa kare wo bhee bhikmange hai !! :)
इन पंक्तियों ने कमाल कर दिया है...मार्मिक बात
jinko ani chahiye unko kyunnahin aati hai
biwi ke ate hi abto sharm bech di jati hai
दर्जन बच्चे भी कही ओर जाते होंगे भीख मांगने....
आज के बच्चे ऎसे क्यो होते जा रहे है???कही ना कही हमारा ओर समाज का ही कोई कसूर है कोई गलती है....
कमाल है..वाह!
कमाल है भाई. बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
लेकिन ऐसे बच्चों को लज्जा नहीं आती.
लानत है ऐसे दर्ज़न भर बेटों को...इस से तो वो बाँझ ही अच्छी...
नीरज
इन पंक्तियों पर वाहवाही तो मिल सकती है पर मर्म तो देखिये................. शर्म मिटटी को आती है वहाँ से गुजरने वाले इंसान को नहीं. बच्चों को दोष न दीजिये वे भी पता नहीं कहाँ होंगे..................??????????????
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
kyaa baat....kyaa baat....kyaa baat.....!!
आपकी इन लाइनों पर पोस्ट लिखने का जी कर रहा है ...आपकी संवेदनशीलता को प्रणाम !
vaah-vaah.
Very touchy post ! Felt like reading again n again
Vartman jiwan moolya harash aur bigadte pariwarik-samajik prashbhumi ki jeeti-jaagti tasveer do panktion mein sametne ka aapka prayas sarhaniya hai...
bahut badhi
Wah Sir Kya Baat Hein .... such me lzaa zati hogi mati ...
Post a Comment