जब भी रंग बदलता पानी.
खुद को खुद से छलता पानी.
पृथ्वी का अनमोल खज़ाना,
उगती फसलें-चलता पानी.
कहीं त्रासदी-कहीं ज़िन्दगी,
मीलों-मील उछलता पानी.
दुनिया भर ऐसे पसमंज़र,
भूखे पेट-उबलता पानी.
उस की मर्जी दे या ना दे,
आंखें और छलकता पानी.
- योगेन्द्र मौदगिल
30 comments:
कही त्रासदी-कही जिन्दगी
पानी के माध्यम से आपने जिन्दगी को उसके यथारूप मे पिरोया है
बहुत सुन्दर
पानी से जुड़े सरोकारों पर श्रेष्ठ रचना और मानवीय जिन्दगी की व्यंजना भी
सरल शब्दों में इतनी गूढ बात कैसे कह देते हैँ आप?...सुन्दर रचना
पानी की चहुँओर व्याप्ति और उसके बहुआयामी स्वरूप का उत्कृष्ट सन्दर्भ ।
सहज व बेहद प्रभावशाली रचना । आभार ।
क्या बात है मौदगिल भाई? बहुत खूब लिखा है आपने। जरा इसे भी देखें जो आपको पढ़कर तात्कालिक रूप से बन पड़े हैं -
पानी कम प्रायः आँखों में
क्यों आँखों से बहता पानी?
पानी पानी सुमन सोचकर
पीने को न मिलता पानी
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
नई विचारोत्तेजक बात।
पानी में जिंदगी का फलसफा सुना दिया ।
उत्तम।
बहुत सुन्दर चित्रण. धन्यवाद.
योगेन्द्र जी राम-राम, मन्ने तो सुण्या था के आंखां मे पाणी होणा चाहिये फ़ेर किसी पाणी की जरुरत कोनी, जोर दार बात कही आपने,
क्या क्या रंग है धरता पानी
पानी तू है कैसा पानी ।
सुन्दर !!!!!!!
पानी की विशेषतायें अदभुत तरीके से बयां हुईं
बहुत प्रभावशाली रचना.
रामराम.
पानी के ज़रिये आपने बहुत गूढ़ बात कही .....
बहुत अच्छी लगी यह रचना....
आभार.
बहुत सुन्दर पानी की सम्पूरण गाथा । धन्यवाद
बहुत सुन्दर !
बहुत बढ़िया व सुन्दर रचना!!
bahut sunder maudgil ji hamesha ki tarah.
वाह्! मौगदिल जी, पानी के माध्यम से जीवन का यथार्थ चित्रण करती हुई बेमिसाल रचना.....
वाह आप ने अपनी कविता मै पानी के अलग अलग रुप दे दिये, बहुत सुंदर, धन्यवाद
उसकी मर्जी दे या ना दे
आंखें और छलकता पानी ।
बहुत ही खूबसूरत ।
पानी रे पानी तेरा रंग कैसा ......... पानी के इर्द गिर्द बुना ताना बाना लाजवाब है ........
आपने अपने अंदाज़ में पानी और संवेदनाओं को दिखाया है.
ग़ज़ल हमे बहुत अच्छी लगी..
- सुलभ
पानी रे पानी तेरा रंग कैसा
जिसमें मिला दो लगे उस जैसा
भूखे की भूख और प्यास जैसा
जय हिंद...
आंसू बहता पानी भी तो है भई, पर गर्म है
सब कुछ पानी से साफ़ हो, यह तेरा भरम है
एक दिन सब सुख जाए तो करना क्या है
एक दिन सब को मरना है तो अब करना क्या है।
Thank you Yogendra bhai, thank u for visiting my blog.
Nanda
http://ramblingnanda.blogspot.com
satya ko shabd mein piroya hai aapne bahut khoobsurti ke sath ..
sundar
Bahut sunder sandesh....
यूँ तो आपके नाम से परिचित हूँ लेकिन आपके ब्लॉग पर पहली बार आया हूँ .
आपने हमारे ब्लॉग 'सोऽहं साहित्य सरोवर' पर मेरी रचना को आशीर्वाद दिया इसके लिए आभार.
उसकी मर्ज़ी दे या न दे,
आँखों और छलकता पानी .
एक सशक्त ग़ज़ल से रु-बा-रु हुआ हूँ.
वाह वाह वाह वाह
वाह!
हर शेर लाजवाब है.
पानी पर इतनी सुंदर ग़ज़ल!वाह!
पानी की कहानी,आप के ज़ुबानी और वो भी इतने बेहतरीन लफ़्ज़ों में बहुत अच्छा लगा..धन्यवाद
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