मुल्ला देख या पण्डे देख.
लिये धरम के डण्डे देख.
आहट हुई इलैक्शन की,
बस्ती-बस्ती झण्डे देख.
राजनीत का प्रेत चढ़ा,
खादी वाले गण्डे देख.
कहे भारती रो-रो कर,
पूत हुए मुश्टण्डे देख.
जंगल का कानून समझ,
या शहरी हथकण्डे देख.
सफल कैबरे, हूट कवि,
सड़े टमाटर-अण्डे देख.
--योगेन्द्र मौदगिल
24 comments:
कबीराना अंदाज, बहुत खूब।
मस्ती के अंदाज में सबकी क्लास ली
बहुत सुंदर कविता। अच्छा लगा पढकर।
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शानदार रही लखनऊ की ब्लॉगर्स मीट
नारी मुक्ति, अंध विश्वास, धर्म और विज्ञान।
सदा की तरह...लाजवाब भाई जी...
नीरज
kya kya lekar aate hain
maudgil ji ke fande dekh,
wah maudgil ji, gagar men sagar. badhaai.
बहुत बढ़िया रचना हमेशा की तरह आभार योगेन्द्र जी
kya bat hai !
bahut khoob...........
बहुत सुंदर!
सफल कैबरे, हूट कवि...बहुत सटीक रचना...बधाई.
क्या भइया, क्या आजकल भी अंडे टमाटर पड़ते हैं कवियों को ?
मेरा मतलब इस महंगाई में ?
बहुत प्यारी रचना लिखी है जी।
भई मौदगिल जी, बहुत ही कमाल की लगी ये रचना !
बहुत सही बात कही है आपने----
वाह योगेन्द्र जी सबने शुट (हुट) कर दिया, थमने घणी घणी बधाई, ललित शर्मा रामपुरिये का राम-राम
सफल कैबरे ...हूट कवि ..
सड़े अंडे टमाटर देख ....
कला जगत की त्रासदी पर खूब नजर टिकाई है आपने ...!!
आपके अंदाज़ की रचना गुरुदेव ....... धो धो कर मारते हैं आप ........ बहुत खूब .........
बहुत बढ़िया रचना हमेशा की तरह....
राजनीति के वितंडे देख,
हूटर लगी गाड़ियों पर,
देश के लगे झंडे देख
संडे हो या मंडे, या कोई डे
आम आदमी के जिंदा रहने की खातिर
अपनाए जाते फंडे देख...
जय हिंद...
hamesha ki tarah jabardst,,,,,,,,,,
arsh
कहे भारती रो रो कर
पूत हुए मुश्टंडे देख ।
क्या बात है मौदगिल साहब, हमेशा की तरह धारदार ।
बहुत अच्छा!
सौ तालियां
सही मायने में इसी को रचना कहते है दिल और दिमाग़ में कुछ ना कुछ रच जाती है स्वतः इन पंक्तियों को पढ़ने के बाद..
सनडे देख या मंडे देश,
आपके यह हथकड़े देख,
रचना सब कुछ कह जाती है,
दिल को छू कर रह जाती है,
मनोरंजन के साथ साथ,
एक आईना दिखलाती है,
अपने सामाजिक परिवेश को,
भाव,विचार और वेश को..
प्रणाम ताऊ जी ..कम लिखते है पर जोरदार लिखते है..बधाई
आहट हुई इलेक्शन की
बस्ती बस्ती झंडे देख...
सीधी बात कह दी आपने अपने सरल अंदाज में.
सफल कैबरे ...हूट कवि ..
सड़े अंडे टमाटर देख...
दुख तो इसी बात का है भौंडेपन को तरजीह दी जा रही है ...
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