कुछ दोहों और कईं दिनों की अनुपस्थिति हेतु खेद सहित उपस्थित हूं आज
आंगन से कहने लगी, रो-रो कर दहलीज़.
दक्षिण दरवाज़े गये, पश्चिम गयी तमीज़.
सत्य-सनातन परम्परा, पूजा-पाठ विचार.
गये लुटेरे लूट कर, सात समंदर पार.
राम-कथा के नाम पर, धंदे का संयोग.
कैसेट, बैनर, पोस्टर, बेच रहे हैं लोग.
उसका बंटी भूख से, तड़प रहा बेहाल.
उनके टामी ने चखे, दूध-दही के थाल.
छंद ग्यान भी हो गया, अपना तो बेकार.
चार चुटकुलों का मगर, खूब चला व्यापार.
देह निमंत्रण रख दिया, उसने निस्संकोच.
सुंदर तन भीतर छिपी, बहुत घिनौनी सोच.
कीचड़ में नेता सने, गोबर सने किसान.
जनता गारे में धंसी, दलदल हिन्दुस्तान.
--योगेन्द्र मौदगिल
23 comments:
कीचड में नेता सने, गोबर सने किसान
जनता गारे में धसी दलदल हिंदुस्तान
बहुत खूब जनाव ! बहुत बढिया !!
भाई जी क्या दोहे लिखे हैं...कमाल...गज़ब...वाह...
राम कथा के नाम पर....
उसका बंटी...
कीचड में नेता....
ये दोहे तो भाई जी काल जयी हो गए समझो...हमेशा याद रखें जायेंगे...बहुत तीखे सच्चे सरल दोहे...
नीरज
कीचड में नेता सने, गोबर सने किसान
जनता गारे में धंसी, दलदल हिन्दुस्तान
बहुत बेहतरीन।
बहुत खुब..
कीचड में नेता सने, गोबर सने किसान
जनता गारे में धंसी, दलदल हिन्दुस्तान
yeh panktiyan bahut achchi lagin....
kya baat hai in dohon ki ,... uskaa banti bhukh se ... waaah kamaal hai ye to ...
arsh
कीचड में नेता सने, गोबर सने किसान
जनता गारे में धसी दलदल हिंदुस्तान ।।
ऎसी धंसी कि कोई निकालने वाला भी नहीं :) लाजवाब है जी!
बहुत सशक्त रचना.
रामराम.
अगर कविता का पेटेंट बेचा जाता तो आपका चुटकुले वाला दोहा तुरंत ही अपने नाम से पेटेंट करवा लेता और बाद में आपको हरजाना देता रहता । सच कहा मंच तो अब मचान हो गया है । जहां पर बंदूक लेकर शिकारी बैठते हैं ।
आपके इसी विचार का मै फैन हूँ!आभार!
सारे दोहे एक से बढ कर एक ।
राम कथा के नाम पर............... बहुत पसंद आया ।
राम कथा के नाम पर........ जबाब नही आप के इन दोहो का सब एक से बढ कर एक.
धन्यवाद
बेहद उम्दा भाव से सज़ा भरा हुआ संदेश,
मगर कहाँ माने कोई, ऐसा है यह देश,
रूप बदलता जा रहा,घर हो या संसार,
साधु बाबा भी करते है, जम कर के व्यापार.
बढ़िया दोहे..
बहुत अच्छे दोहे लिखे हैं , योगेन्द्र जी.
मज़ा आ गया.
Kaun batorega inhein, sab moti ke samman
nayab nageene
Devi nangrani
wah wah wah
आपने बहुत अच्छा लिखा है। विचार और शिल्प प्रभावित करते हैं। मैने भी अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है-घरेलू हिंसा से लहूलुहान महिलाओं का तन और मन-मौका लगे तो पढ़ें और अपनी राय भी दें-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
wah maudgil ji, har ek amoolya ratn.
बता गए योगेन्द्र जी यही देश का हाल।
जनता बस कंगाल है नेता मालामाल।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
her sher umda hai sahib...
bahut hi badhiya... din ke ujale main aapke vichar bahut achhe hain... ek link de rah hoon suniyega... http://www.mushaira.org
सामयिक दोहें - शानदार दोहे!!
- सुलभ जायसवाल 'सतरंगी'
Keechad mein neta sane ...
Vaah gurudev ... kamaal ke dohe hain sab ... aaj ke haalaat ka aaina .. mazaa aa gaya padh kar ..
एक से बढ़कर एक !
वाह आपने तो पहले अंतरे में ही बात ख़त्म कर दी..बहुत सुंदर..
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