ज़र से मालामाल है दुनिया.....

आप सभी पाठकों का और टिप्पणीकारों का आभार इसलिये नहीं कि मैं इस स्नेहिल भाव को कतई भी हल्काना नहीं चाहता..... आपका स्नेह संबल है मेरा....
बहरहाल.. इसी क्रम में एक और हल्की-फुल्की रचना....




ज़र से मालामाल है दुनिया.
पर दिल से कंगाल है दुनिया..

बूढ़ा बाबा बतलाएगा,
क्यों जी का जंजाल है दुनिया..

रौनक-मेले, होटल, बंगले,
चालू सी टकसाल है दुनिया.

देख पीठ को छुरियां तौले,
बद, बदतर, बदहाल है दुनिया.

सब हैं सपनों के व्यापारी,
सपनों में खुशहाल है दुनिया.

मिल के मज़दूरों का कहना,
चूल्हा, आटा-दाल है दुनिया
--योगेन्द्र मौदगिल

23 comments:

वाणी गीत said...

चूल्हा ..आटा...दाल है दुनिया ...बहुत लोगों के लिए आज भी ..कहा भी तो गया है ...भूखे भजन न होहिं गोपाला ..!!
सुन्दर रचना ..!!

निर्मला कपिला said...

छोटी सी रचना मे पूरी दुनिया ही समा गयी है बहुत सुन्दर। बधाई।

Unknown said...

अच्छी रचना ........अच्छे शे'र .........
बधाई !

_______
_______विनम्र निवेदन : सभी ब्लौगर बन्धु आजशनिवार
को भारतीय समय के अनुसार ठीक 10 बजे ईश्वर की
प्रार्थना में 108 बार स्मरण करें और श्री राज भाटिया के
लिए शीघ्र स्वास्थ्य हेतु मंगल कामना करें..........
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_______________________________

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सब हैं सपनों के व्यापारी,
सपनों में खुशहाल है दुनिया.

मिल के मज़दूरों का कहना,
चूल्हा, आटा-दाल है दुनिया

बहुत बढ़िया है।
बधाई!

Mithilesh dubey said...

बहुत बढिया सुन्दर रचना।

Ankit said...

नमस्कर यौगेन्द्र जी,
बहुत उम्दा लिखा है आपने, लफ्जों का चयन हमेशा की तरह बेहतरीन है, जब भी आपकी रचनाओ को पड़ता हूँ बहुत कुछ सीखने को मिलता है.

अजित वडनेरकर said...

सब हैं सपनों के व्यापारी,
सपनों में खुशहाल है दुनिया

बहुत बढ़िया। छोटी बहर में बहुत अच्छी बात
कह जाते हैं आप।

Vinay said...

बहुत बढ़िया चटखारे
---
1. चाँद, बादल और शाम
2. विज्ञान । HASH OUT SCIENCE

विनोद कुमार पांडेय said...

मारामारी,लूट खसोटी,
स्वार्थ,लोभ से लाल है दुनिया,
कौन करे गैरों पर रहमत,
खुद मे ही बेहाल है दुनिया,

बढिया रचना!!!

Anonymous said...

Ati sundar rachna.
वैज्ञानिक दृ‍ष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।

नीरज गोस्वामी said...

देख पीठ को छुरियां तौले,
बद, बदतर, बदहाल है दुनिया.

वाह भाई जी वाह...भोत दिना में आये भाई लेकिन आ के तमने कमाल कर दिया...भोत बढ़िया....बोले तो भोत ही बढ़िया...भाई जी
नीरज

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

मिल के मज़दूरों का कहना,
चूल्हा, आटा-दाल है दुनिया||

अज तो आपकी इस रचना की तारीफ के लिए शब्द ही नहीं मिल पा रहे।। इसलिए वाह्! वाह्! ही कर देते हैं।।

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

दुनिया रंग रंगीली इसके रंग ह़ज़ार

ओम आर्य said...

बहुत ही कमाल की है दुनिया......जहालोग विचारो से कंगाल है दुनिया.........जो विचारवान है वो कंगाल है ......भाई बहुत ही खुब

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

ज़र से मालामाल है दुनिया.
पर दिल से कंगाल है दुनिया..
बहुत ही बढिया रचना!

Mumukshh Ki Rachanain said...

सब हैं सपनों के व्यापारी,
सपनों में खुशहाल है दुनिया.

चन्द सुन्दर, सपाट शब्दों में पूरी तस्वीर दिखा दी

पर इस युक्ति पर
जहाँ न जाये रवि, वहां जाय कवि
कवि के बारें में भी तो कुछ बोलिए...............

Yogesh Verma Swapn said...

maudgil ji,
aaj socha naya shabd prayog karun,

aaj ki rachna DHANSU HAI.

संजीव गौतम said...

बडे भाई नमस्कार
आनन्द आ गया. अच्छी ग़ज़ल हुई है.
ज़र से मालामाल है दुनिया.
पर दिल से कंगाल है दुनिया..

बूढ़ा बाबा बतलाएगा,
क्यों जी का जंजाल है दुनिया
बहुत अच्छे शेर कहे हैं आपने.

"MIRACLE" said...

आभार Miracle पर दस्तक देने का ..आपका मेरे ब्लॉग पर हमेशा स्वागत है ......मै आपके ब्लॉग संसार में पहली बार दाखिल हुआ अच्छा लगा अब आता रहूँगा .....

Alpana Verma said...

ज़र से मालामाल है दुनिया.
पर दिल से कंगाल है दुनिया..

-अच्छा कटाक्ष किया है.
सही चित्र उकेरा है शब्दों से आप ने.

Urmi said...

बहुत सुंदर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लिखी हुई आपकी ये लाजवाब रचना काबिले तारीफ है! बहुत बढ़िया लगा!

Chandan Kumar Jha said...

बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति. आभार

दिगम्बर नासवा said...

SUBHAAN ALLA GURUDEV ...... CHOTI CHOTI LAAINO MEIN GAZAB KI BAT KAHNE KI KALA KOI AAP SE SEEKHE ..... LAJAWAAB LIKHA HAI ...