गली गली में अपनेपन का ढोल बजाया लोगों ने.
घर आए को दुत्कारा और दूर भगाया लोगों ने.
देवी कह कर दिन में जिसकी पूजा सबने जम कर की,
नंगी कर के उसे रात भर खूब नचाया लोगों ने.
झूठ बोलना- चोरी करना- रिश्वत लेना और देना,
आते ही धंदे में मुझको यही सिखाया लोगों ने.
मैं जिस दुख को कह छन्दों में तुम से सांझा करता हूं,
मस्तक पर चंदन सा उसको खूब सजाया लोगों ने.
यही मिसालें मिली 'मौदगिल' हर इक युग में लोगों की,
फ़नकारों के सच पर अट्टाहास लगाया लोगों ने.
--योगेन्द्र मौदगिल
26 comments:
kuch line to dil ko chu jati hai..
waah kitana ladawa sach..
देवी कह कर दिन में जिसकी पूजा सबने जम कर की,
नंगी कर के उसे रात भर खूब नचाया लोगों ने.
bahut hi badhiya hoti hai aapki kavita..dhanywaad
क्या खूब सुनाई कविता आपने ........
लोगों के दोहरे चरित्र पर बहुत सुंदर और मारक कविता है।
यही मिसालें मिली 'मौदगिल' हर इक युग में लोगों की,
फ़नकारों के सच पर अट्टाहास लगाया लोगों ने.
satik likha hai ....bhaaee
उम्दा, बहुत खूब, कडुवी सच्चाई!
मैं जिस दुख को कह छन्दों में तुम से सांझा करता हूं,
मस्तक पर चंदन सा उसको खूब सजाया लोगों ने.
बहुत खूब्! जमाने के दोगलेपन को बखूबी उभारा है आपने........
बहुत खूब मौदगिल भाई। सही निशाना। चलिए मैं भी कुछ कविताई कर लूँ-
इस रचना में कवि की पीड़ा जीवन के दोहरेपन की
सच कहने वाले को अक्सर खूब दबाया लोगों ने
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
बहुत उम्दा!
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स्वागतम्:
· ब्रह्माण्ड के प्रचीनतम् सुपरनोवा की खोज· ॐ (ब्रह्मनाद) का महत्व
झूठ बोलना- चोरी करना- रिश्वत लेना और देना,
आते ही धंदे में मुझको यही सिखाया लोगों ने.
-बहुत उम्दा.
देवी कह कर दिन में जिसकी पूजा सबने जम कर की,
नंगी कर के उसे रात भर खूब नचाया लोगों ने. ..
बहुत उम्दा कह गये बन्धुवर.
"फ़नकारों के सच पर अट्टाहास लगाया लोगों ने."- एकदम सटीक कहा आपने.
लाजवाब!
dohri mansikta ka satik chitran bahut khub
KYA BAAT HAI MAUDAGIL SAHIB... HAR SHE'R KHUD BOL RAHAA HAI WAAH BAHOT HI KHUBSURATI SE AAPNE KARAARAA LAGAYA HAI GAAL PE SABHI KE BAHOT BAHOT BADHAAYEE...
ARSH
"मैं जिस दुख को कह छन्दों में तुम से सांझा करता हूं,
मस्तक पर चंदन सा उसको खूब सजाया लोगों ने."
GALAT BAAT HAI , LEKIN YE LOG SAMJHENGE NAHEE
गली गली में अपनेपन का ढोल बजाया लोगों ने.
घर आए को दुत्कारा और दूर भगाया लोगों ने.
सटीक , लाजवाब , सार्थक कहा है गुरु देव............. आपका लिखा शब्द सीधा दिल के पार हो जाता है............. यथार्थ की धरातल पर कहे शेर हैं सब
करारा तमाचा है समाज़ पर ।
यही मिसालें मिली 'मौदगिल' हर इक युग में लोगों की,
फ़नकारों के सच पर अट्टाहास लगाया लोगों ने
सारा सच समेटे हुये ये मक्ता
हमेशा की तरह लाजवाब ग़ज़ल...आप जब भी लिखते हैं कमाल लिखते हैं...बधाई...
नीरज
हमेशा की तरह लाजवाब !!!! कटु यथार्थ ki सुन्दर अभिव्यक्ति......
सत्य का उद्घाटन करती बहुत ही सुन्दर रचना....आभार.
... behatreen gajal !!!
बहुत खूब !
इंसानों के कथनी और करनी, दोगलेपन को उजागर करती उत्कृष्ट रचना.
बधाई.
ईटिंग मीटिंग चीटिंग भइया , ये प्रोग्रेस के फंडे हैं
अखबारी दुनिया में हमको यही सिखाया लोगों ने
देवी कह कर दिन में जिसकी पूजा सबने जम कर की,
नंगी कर के उसे रात भर खूब नचाया लोगों ने.
आजकल के झूठ और फरेब की दोहरी जिंदगी की अच्छी तस्वीर.
गली गली में अपनेपन का ढोल बजाया लोगों ने.
घर आए को दुत्कारा और दूर भगाया लोगों ने.
अक्सर यही देखने को मिलता है. लेकिन अपवाद भी हैं. यही जानने के लिए कृपया मेरे ब्लॉग पर भी आइये.
यर्थाथ।
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