वायदे कर भीड़ को बाहर बुलाना सीख ले.
भावना के दांव को तू भी लगाना सीख ले.
भेड़ियों के देश में अब मेमनों को मार कर,
शक्ल में आयोग की गीदड़ बिठाना सीख ले.
कान बहरे, आंख शातिर और मन हो बेशरम,
लोग पुचकारेंगें तुझ को, दुम हिलाना सीख ले.
नेपथ्य में खो जायेगा कोयल से नाता जोड़ कर,
मंच पर कव्वों से अब तो सुर मिलाना सीख ले.
कृष्ण कह कर तुझ को ये दुनिया पुकारेगी जरूर,
गोपियों को पांचतारा में नचाना सीख ले.
--योगेन्द्र मौदगिल
30 comments:
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bahut hi satik likha hai .........bilkul sach isame jo sikh hai wah sirf exprience hai .........jo bahumulya hai ........aaj jinda rahana hai to ye sab chije sikhani aawashyak hai........sarthak post
कृष्ण कह कर तुझ को ये दुनिया पुकारेगी जरूर,
गोपियों को पांचतारा में नचाना सीख ले.
वाह वाह क्या बात है सभी शेर एक से बढ कर एक.
धन्यवाद
कृष्ण कह कर तुझ को ये दुनिया पुकारेगी जरूर,
गोपियों को पांचतारा में नचाना सीख ले.
वाह वाह क्या बात है सभी शेर एक से बढ कर एक.
धन्यवाद
भेड़ियों के देश में अब मेमनों को मार कर,
शक्ल में आयोग की गीदड़ बिठाना सीख ले.
भाई जी जीव ले लिया आपने इस शेर से...कौनसी कलम से लिखते हो आप ऐसे नायाब शेर...कलम का कमाल है या उस मिटटी का जिस से आप जुड़े हैं...भाई जी जय हो...सच्ची में जय हो...
नीरज
मौदगिल जी गर लिखेगें ऐसी सुन्दर बढिया गज़ल,
हम भी वाह वाह कहने को मजबूर हो गए, देख लें।
gazab kar diya yogendraji.........
waah
waah
atyant uttam aur pravaahpoorna ghazal !
gazab ki gazal, gazab ke sher, vyangya ho to aisa seedha teer ki mafik. wah maudgil ji aaj to kamaal kar diya. main neeraj ji se sahmat hun. dheron badhaai.
नेक सलाह दी है आपने. बहुत बढ़िया. आभार
कान बहरे, आंख शातिर और मन हो बेशरम,
लोग पुचकारेंगें तुझ को, दुम हिलाना सीख ले.
वाह गुरुदेव........... क्या बात कही है और प्रभू कृष्ण को भी कलयुगी सलाह दे दी ............ लाजवाब लिखा है अपने ही अंदाज़ में
जीता रह भाई जीता रह. लाजवाब लिखा है. बहुत बधाई.
रामराम.
"नेपथ्य में खो जायेगा कोयल से नाता जोड़ कर,
मंच पर कव्वों से अब तो सुर मिलाना सीख ले."
इस बात को आप से बेहतर कौन जानता होगा । कई कव्वों से पाला पड़ा होगा आपका । बेहतरीन पंक्तियाँ । आभार ।
सच्चा शरणम्: यह हँसी कितनी पुरानी है ?
कान बहरे, आंख शातिर और मन हो बेशरम,
लोग पुचकारेंगें तुझ को, दुम हिलाना सीख ले.
सुंदर और उतना ही प्रासंगिक! जबरदस्त शेर हैं।
भेड़ियों के देश में अब मेमनों को मार कर,
शक्ल में आयोग की गीदड़ बिठाना सीख ले.
Wah kya baat hai!
रचना की तारीफ करने विवशता है। वाह योगेन्द्र भाई। कमाल की रचना है।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
कान बहरे, आंख शातिर और मन हो बेशरम,
लोग पुचकारेंगें तुझ को, दुम हिलाना सीख ले.
क्या खूबसूरती से अपने अपने मन की बात को सबके सामने रखा है ,ये तेवर और लहजा सिर्फ आपके लेखनी से ही आ सकती है साहिब.. बहोत बहोत बधाई ..
अर्श
भेड़ियों के देश में अब मेमनों को मार कर,
शक्ल में आयोग की गीदड़ बिठाना सीख ले.
'समाज की कुव्यवस्था ,इंसान के दोगले व्यवहार पर .....हर शेर एक चाबुक की तरह प्रहार करता हुआ है.
ठीक है यह भी सीखने की कोशिश करते है ....
एक से बढ़कर एक ! इनमें से एक चुनना तो मेरे लिए बड़ा ही मुश्किल काम है...
जवाब नही आपका।
कान बहरे, आंख शातिर और मन हो बेशरम,
लोग पुचकारेंगें तुझ को, दुम हिलाना सीख ले.
कम शब्द गहरी बातें....
तालियाँ
दुम हिलाना सीख तो लें
नया सीखने में कोई बुराई नहीं है
पर पहले यह तो बतलायें
इंसान हैं हम दुम कहां से लायें
योगेंद्र जी कई लोग मुझसे पूछते हैं कि मैं कवि सम्मेलनों में जियादह क्यों नहीं जाता । मेरे पास कोई सटीक उत्तर नहीं होता था । लेकिन आज आपके इस शेर में मिल गया । आभार
नेपथ्य में खो जायेगा कोयल से नाता जोड़ कर,
मंच पर कव्वों से अब तो सुर मिलाना सीख ले.
नेपथ्य में खो जायेगा कोयल से नाता जोड़ कर,
मंच पर कव्वों से अब तो सुर मिलाना सीख ले...
क्या खूब कहा है आपनें .
कान बहरे, आंख शातिर और मन हो बेशरम,
लोग पुचकारेंगें तुझ को, दुम हिलाना सीख ले.
कृष्ण कह कर तुझ को ये दुनिया पुकारेगी जरूर,
गोपियों को पांचतारा में नचाना सीख ले.
.भेड़ियों के देश में अब मेमनों को मार कर,
शक्ल में आयोग की गीदड़ बिठाना सीख ले.
समकालीन परिस्थितियों पर सशक्त व्यंग्य . वाह
सीख लिया भई सीख लिया, शुक्रिया।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
कृष्ण कह कर तुझ को ये दुनिया पुकारेगी जरूर,
गोपियों को पांचतारा होटल में नचाना सीख ले.
योगेन्द्र मौदगिल ji,
ghazal aapkibahut hi jordaar hai badhaai.
माफ़ करें होटल शब्द जोड़ कर देखा
कैसा लगा.
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