आदमी के नाम पर...........

गांव के कच्चे मकां से शहर का कंक्रीट-घर
तय हुआ यूं आरज़ू का ज़िंदगानी में सफ़र

बंद बारिश हो गयी तो तितलियां उड़ने लगी
और बादल हो गये बहकी हवा के हमसफ़र

हर किसी शै ने ठिकाना एक निश्चित कर लिया
आदमी कम्बख्त लेकिन घूमता है दरबदर

खंजरों से दुश्मनी उसकी हुई है दोस्तों
इसलिये उसको भरोसा है सिरफ तलवार पर

जोड़ना टूटे दिलों को है भलाई मौदगिल
आदमी को तोड़िये मत आदमी के नाम पर
--योगेन्द्र मौदगिल

20 comments:

Vinay said...

बंद बारिश हो गयी तो तितलियां उड़ने लगी
और बादल हो गये बहकी हवा के हमसफ़र

ऐजाज़े-सुख़नवरी, वाह साहब!

Udan Tashtari said...

हर किसी शै ने ठिकाना एक निश्चित कर लिया
आदमी कम्बख्त लेकिन घूमता है दरबदर

-बहुत दमदार शेर कहा!१ उम्दा गज़ल.

इरशाद अली said...

बहुत खूब गजल कही है भाई साब

नीरज गोस्वामी said...

हर किसी शै ने ठिकाना एक निश्चित कर लिया
आदमी कम्बख्त लेकिन घूमता है दरबदर

बहुत खूब भाई जी...हमेशा की तरह...बेमिसाल...
नीरज

आलोक साहिल said...

waah ji waah...laajwab!!
ALOK SINGH "SAHIL"

दिगम्बर नासवा said...

बंद बारिश हो गयी तो तितलियां उड़ने लगी
और बादल हो गये बहकी हवा के हमसफ़र

शेर बहूत ही लाजवाब......दम दार हैं...........नया पन लिए..............आपने अपने अंदाज़ में

"अर्श" said...

MATALE KE KYA KAHANE BAHOT HI KAMAAL KA LIKHAA HAI BEMISHAAL BAATEN KAHI HAI AAPNE HAR SHE'R KE JARIYE... DHERO BADHAAYEE


ARSH

रंजना said...

Adwiteey .....sadaiv ki bhanti..

Unknown said...

badhai ho prabhu, bahut achhi ghazal k liye

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत लाजवाब रचना.

शुभकामनाएं

रामराम.

अनिल कान्त said...

lajwab...
mujhe bahut achchhi lagi

शोभना चौरे said...

हर किसी शै ने ठिकाना एक निश्चित कर लिया
आदमी कम्बख्त लेकिन घूमता है दरबदर
bhut shi hai

गौतम राजऋषि said...

"और बादल हो गये बहकी हवा के हमसफ़र"
आहहा....

लाजवाब ग़ज़ल योगेन्द्र जी

मक्‍ता बहुत ही जबरदस्त बन पड़ा है

कुलदीप "अंजुम" said...

गांव के कच्चे मकां से शहर का कंक्रीट-घर
तय हुआ यूं आरज़ू का ज़िंदगानी में सफ़र
bahut khoob

रविकांत पाण्डेय said...

हर किसी शै ने ठिकाना एक निश्चित कर लिया
आदमी कम्बख्त लेकिन घूमता है दरबदर

बहुत अच्चा लगा ये शेर खासकर। गज़ल में आम आदमी की बात रखने के लिये शुक्रिया।

Mumukshh Ki Rachanain said...

हर किसी शै ने ठिकाना एक निश्चित कर लिया
आदमी कम्बख्त लेकिन घूमता है दरबदर

बहुत खूब, वाह! वाह!!.................

पर भाई जान निम्न शेर

जोड़ना टूटे दिलों को है भलाई मौदगिल
आदमी को तोड़िये मत आदमी के नाम पर

तो कम से कम दहाड़ कर मत मत गुंजायमान करें वरना अगले चुनाव में फिर वोट कैसे मिलेगा, नेताओं के जमीन ही हिल जायेगी.

आभार

चन्द्र मोहन गुप्त

Yogesh Verma Swapn said...

jodna toote dilon.............

wah ,wah wah. maudgil ji badhai sweekaren.

Pritishi said...

हर किसी शै ने ठिकाना एक निश्चित कर लिया
आदमी कम्बख्त लेकिन घूमता है दरबदर
Bahut khoob !

खंजरों से दुश्मनी उसकी हुई है दोस्तों
इसलिये उसको भरोसा है सिरफ तलवार पर
Nice.

योगेन्द्र मौदगिल said...

आरसी जी,

'खंजरों से दुश्मनी उसकी हुई है दोस्तों,
इसलिये उसको भरोसा है सिरफ तलवार पर'

इस शेर को आपने पसंद किया. आभार. एक परिवर्तन कर रहा हूं इसमें. इसे पढ़े और बतायें कि अब कैसा लग रहा है.....

'खंजरों से दोस्ती उसकी हुई है दोस्तों,
इसलिये उसको भरोसा है सिरफ तलवार पर'

--योगेन्द्र मौदगिल

Smart Indian said...

बंद बारिश हो गयी तो तितलियां उड़ने लगी
और बादल हो गये बहकी हवा के हमसफ़र
बहुत खूब!

'खंजरों से दोस्ती उसकी हुई है दोस्तों,
इसलिये उसको भरोसा है सिरफ तलवार पर'
यह परिवर्तन ज़्यादा पसंद आया - संत कबीर की उलटबांसी जैसा.