आंख के आसपास है पानी.
रात भर से उदास है पानी.
नूर ही नूर उनके जलवे में,
उनके चेहरे को रास है पानी.
सारी दुनिया है रेत का दरिया,
और दरिया की आस है पानी.
जिंदगी का भरोसा क्या कहिये,
जिंदगी का क़यास है पानी.
खेत भी अपने और आवा भी,
कभी खुशियां तो यास है पानी.
ये जो इतराये काट दे बलवा,
बाढ़ का अट्टाहास है पानी.
वक्त पर आ घिरें जो बादल तो,
गांव भर का हुलास है पानी.
कृष्णा, गंगा, गोदावरी, सतलुज,
यमुना, कावेरी, व्यास है पानी.
रात है, चांदनी है, चंदा है,
अब तो बस देवदास है पानी.
--योगेन्द्र मौदगिल
28 comments:
पानी की कहानी आपकी जुबानी हमने जानी .
बहुत सुंदर
रात है, चांदनी है, चंदा है,
अब तो बस देवदास है पानी.
बहुत सुंदर ! धन्यवाद !
waah bahut hi sundar
Jindgi men nahin paani to sab pani pani. pani ki ahmiyat koi aise samjhaye, to maza aaye.
सारी दुनिया है रेत का दरिया,
और दरिया की आस है पानी.
बहुत ही सुंदर कविता है ! धन्यवाद !
कमाल की रचना !
कमाल की कविता ! धन्यवाद !
खेत भी अपने और आवा भी,
कभी खुशियां तो यास है पानी.
yah line mujhe adhik achchi lagin
मौदगिल साहब बहुत कामल की बात कही आपने......
रात है, चांदनी है, चंदा है,
अब तो बस देवदास है पानी.
ये जो इतराये काट दे बलवा,
बाढ़ का अट्टाहास है पानी।
क्या ख़ूब कही, मौदगिल साहब!
बहुत जानदार ग़ज़ल कही है आपने...लाजवाब और मकता ...आह हा हा...मैं सदके मैं वारी आप की कलम पर...
नीरज
क्या बात है, बहुत ही सुंदर कविता लिखी है आप ने ,
वक्त पर आ घिरें जो बादल तो,
गांव भर का हुलास है पानी.
धन्यवाद
आपकी कविता में भी बह रहा सरिता का पानी
आप के पास तो शब्दों की ढाणी
regards
सारी दुनिया है रेत का दरिया,
और दरिया की आस है पानी.
वाह मौदगिल जी जैसा कि मकरंद साहब ने कहा कि आपके पास तो शब्दों की ढाणी है लेकिन इस कविता के लिए हमारा शब्दकोश बिल्कुल खाली है
बहुत ही अच्छी रचना शब्द ही नहीं है इसका सम्मान करने के लिए
आंख के आसपास है पानी.
रात भर से उदास है पानी.
पानी रे पानी तेरा रंग कैसा.........
बहुत खूब, सुंदर रचना
क्या बात है भाई. बहुत ख़ूब. न जाने आज क्या देखा या सोचा है .. आप की ग़ज़ल पढ़ कर बेसाख्ता ज़ुबां पे आ गया सो लिख देता हूँ :
आंखों से गुज़रे है ऐसे मंज़र
पानी पानी है आँख का पानी
wah moudgil ji pani ki udasi per khub likha lekin pani ko udas kerne walon per bhi kuch likho .
gangaji ka jal paani nahi wo is dhara ka amrit hai lekin chand logon ne apne swarth main ise udasi di hai or dushit kiya hai.
रात है, चांदनी है, चंदा है,
अब तो बस देवदास है पानी.
बहोत ही बढ़िया लिखा है आपने पानी की कहानी को ... बहोत ही सुंदर बहोत बहोत बधाई
अर्श
रात है, चांदनी है, चंदा है,
अब तो बस देवदास है पानी.
--वाह वाह!!! अब तो ख्वाईश है कि कभी एक मंच से पढ़ा जाये तो आनन्द दूना हो जाये.
अति सुंदर !
हम भी हो गये पानी पानी. आभार.
http://mallar.wordpress.com
जिनकी आंख का मर गया पानी !!!!!
बढ़िया...
अति सुंदर-
सारी दुनिया है रेत का दरिया,
और दरिया की आस है पानी.
सारी दुनिया है रेत का दरिया,
और दरिया की आस है पानी.
बहुत खूब कहा
आंख के आसपास है पानी.
रात भर से उदास है पानी.
... बहुत प्रभावशाली रचना है।
रात है, चांदनी है, चंदा है,
अब तो बस देवदास है पानी.
bahut khub...!
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