नीरवता का राज यहां पर,राम भजो..!!
शापित बस्ती-कुंठित घर-घर,राम भजो..!!
लहू के छींटे दरवाज़ों पर,राम भजो..!!
सहम-सहमे दीवारो-दर,राम भजो..!!
सबके माथे पर अनसुलझे प्रश्न यहां
नहीं किसी के वश में उत्तर,राम भजो..!!
गांव-गांव में राज लठैतों का प्यारे
शहर में राजा हो गये तस्कर,राम भजो..!!
हाथ मोतियों वाले जाने कहां गये
अब तो हाथों-हाथों खंज़र,राम भजो..!!
उत्पीड़न के नये बहाने रोज यहां
खोज रहे सरकारी अफसर,राम भजो..!!
राम नाम का लिये उस्तरा मूण्ड रहे
पंडिज्जी भी भक्तों के सर,राम भजो..!!
आश्रम फाइवस्टार में चेले चरणों में
और चेलियां हैं हमबिस्तर,राम भजो..!!
छोटे बच्चे भी नंगी तस्वीरों के
खेल खेलते मोबाइल पर,राम भजो..!!
इंटरनेट ने इतना ग्यान बढ़ा डाला
नंगे हैं सारे कम्प्यूटर,राम भजो..!!
पंडित-मुल्ला-क़ाजी-नेता-अध्यापक
सब हैं सपनों के सौदागर,राम भजो..!!
सह ना पाई भूख वो अपने बच्चों की
बेच गई फिर हया का ज़ेवर,राम भजो..!!
----योगेन्द्र मौदगिल
22 comments:
सह ना पाई भूख वो अपने बच्चों की
बेच गई फिर हया का ज़ेवर,राम भजो..!!
" kya khen, likha to bilkul theek hai, ab to shayad Ram ko hee yhan aana hoga...ye dkhne kee kya kya ho rha hai unke naam pr dhartee pr"
Regards
पंडित-मुल्ला-क़ाजी-नेता-अध्यापक
सब हैं सपनों के सौदागर,राम भजो..!!
वाह भाई ! इस वेदना को अच्छा व्यक्त किया आपने !
शुभकामनाएं !
इंटरनेट जे इतना ग्यान बढ़ा डाला
नंगे हैं सारे कम्प्यूटर,राम भजो..!!
सटीक रचना ! भूतनाथ का सलाम !
इंटरनेट जे इतना ग्यान बढ़ा डाला
नंगे हैं सारे कम्प्यूटर,राम भजो..!!
बहुत यथार्थवादी रचना !
तिवारी साहब का सलाम !
राम भजो भई राम भजो,सटीक लिखा आपने
छोटे बच्चे भी नंगी तस्वीरों के
खेल खेलते मोबाइल पर,राम भजो.
aaj-kal ke maujuda halat pe tippani ka achha chhita kashi kari hai aapne bahot hi sundar drishya dikhaya hai,jo mulatah satya hai.........
regards
बहुत सही है भाई... राम भजो. बढ़िया है.
बहुत अच्छी अभिव्यक्ति .
शुभकामनाये .
पंडित-मुल्ला-क़ाजी-नेता-अध्यापक
सब हैं सपनों के सौदागर,राम भजो..!!
सह ना पाई भूख वो अपने बच्चों की
बेच गई फिर हया का ज़ेवर,राम भजो..!!
बहुत सुंदर लिखा ह .राम भजो भाई! राम भजो.
राम नाम का लिये उस्तरा मूण्ड रहे
पंडिज्जी भी भक्तों के सर,राम भजो..!!
आश्रम फाइवस्टार में चेले चरणों में
और चेलियां हैं हमबिस्तर,राम भजो..!!
बहुतै प्यारी गजल आपने रच डाली,
इनको करूं सलाम, मान्यवर राम भजो।
सही कह रहे है आप राम भजो !!
बस यही काम रह गया है!
बहुत अच्छा कटाक्ष किया है. देश की कई विसंगतियों को कविता में शब्दबद्ध कर दिया है.
बहुत सधा हुआ व्यंग्य है भाई। कोई भी समस्या हो कोई परवाह नहीं, बस राम भजो। अपने कुकर्मों से जनता का ध्यान हटाने के लिए नेताओं ने यही रास्ता अपना रखा है।
हाथ मोतियों वाले जाने कहां गये
अब तो हाथों-हाथों खंज़र,राम भजो..!!
सही कहा आपने।
पंडित-मुल्ला-क़ाजी-नेता-अध्यापक
सब हैं सपनों के सौदागर,राम भजो
बहुत खूब मौदगिल भाई !
उत्पीड़न के नये बहाने रोज यहां
खोज रहे सरकारी अफसर,राम भजो
पंडित-मुल्ला-क़ाजी-नेता-अध्यापक
सब हैं सपनों के सौदागर,राम भजो
योगेन्द्र भाई...जवाब नहीं आपका...एक एक शेर अनमोल है...बेहतरीन ग़ज़ल...वाह...वा...
नीरज
आप सभी की ऊर्जस्वी टिप्पणियों के लिये आभार प्रगट कर आपके स्नेह को हल्काऊंगा नहीं.
शीघ्र ही एक नयी गजल के साथ पुन: उपस्थित हो रहा हूं..
....हमेशा की तरह लाज्वाब.तारिफ में क्या कहूँ.
बस यूँ ही अनुग्रहित करते रहें अपनी रचनाओं से.
सबके माथे पर अनसुलझे प्रश्न यहां
………।
कठोर समसामयिक यथार्थ का सटीक चित्रण।
हार्दिक बधाई।
प्रियवर ,आज आपकी तीनों रचनाये पढी ,राम भजो में आपका दर्शन ,निगाहों में व्यंग्य और प्यार के व्यापार में कटु सत्य की अभिव्यक्ति जिसमें आपने बाज़ार और व्यापार का साक्षात्कार कराया ,बुढापे की हकीकत बतलाई ,भाई बहिन के आधुनिक प्यार की सच्ची तस्वीर खींची इसके बाद सबसे अच्छी बात लगी "आईये मिल कर काव्य का उद्धार करें " आज मैं अपने आपको बहुत भाग्यवान समझ रहा हूँ जो आपके ब्लॉग पर आया =आप ने मेरी तुकवन्दी को झूंठा न सराहा होता तो मैं आप तक पहुँच ही नही पाता
सह ना पाई भूख वो अपने बच्चों की
बेच गई फिर हया का ज़ेवर,राम भजो..!!
बेहतरीन लेखन
sab kuch to aapne hi kah dala
na choda auron ke khatir Ram bhajo .
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