स्वतंत्रता दिवस पर विशेष

आजादी की वर्षगांठ
से कुछ दिन पहले
जनता बोली, 'क्यों नेता जी..
हमने तुमको वोटें दर वोटें तो दी हैं
तुमने इनके बदले
हम जनता को क्या लौटाया ?
नेता अपनी मादकता में मुस्काया
और बोला
प्यारी जनता सुन लो कान खोल कर
भ्रष्टाचार, घोटाला..
दवा, यूरिया, चारा और हवाला..
हमने तुझको दिया री जनता...

हड़तालें, आंदोलन..
कर की चोरी, अफसरशाही..
और भूमि का दोहन...
हमने तुझको दिया री जनता...

कालाहांडी-कच्छ अकाल,
भूखी मांए, रोगी लाल..
भंडारों में
ऊपर से नीचे तक
गेंहूं को सड़वाया
मध्यप्रदेश में
इसीलिये कुछ भुखमारों ने
बंदर भून -भून कर खाया
सकल विश्व के अखबारों के
फ्रंटपेज पर
यों भारत का नाम छपाया
अब भी हमसे पूछ रहे हो
हमने क्या-क्या लौटाया ?

अरे बुद्धुऒं...
चुप हो बैठो
मत मांगों तुम हमसे उत्तर
हम से नये तरीके सीखो घर भेदन के
स्वर्ण तस्करी, ड्रग आयात व पर-पीड़न के
हमीं सिखाएंगें
तुम्हें सभ्यता पांच सितारी
हमीं दिखाएंगें
डायस पर नंगी नारी
हम अरबों के ऊंटों की खातिर
भूखे बच्चे बेच
बांटेंगें नशा राज का
नक्शा बदलेंगें समाज का
इसीलिये तो
नेता जी के जन्मवर्ष पर
पुनः अपील करता हूं जनता
अब तक पृथ्वी पर भारत है
मैं तो तुमको वादे दूंगा, नारे दूंगा..
आश्वासन और खादी दूंगा...
तुम मुझे वोट दो..
मैं तुम्हें बरबादी दूंगा...
तुम मुझे वोट दो..मैं तुम्हें बरबादी दूंगा...
--योगेन्द्र मौदगिल

8 comments:

Anil Pusadkar said...

kyaa baaat hai,bhai jee.barbaadi ko dekh bhi rahe hain aur jhel bhi rahe hain.sateek shabd chitran.badhai aapko

अमिताभ मीत said...

बहुत खूब. आज तक बर्बादी ही दी है और .......... लेकिन खूबी ये है कि हम भी तो उसी पर आमादा हैं. आदत हो गई है हमें और अब इतने दिनों में तो दर्द का एहसास भी ख़त्म होता जा रहा है.
बहरहाल, बहुत अच्छी रचना.

शोभा said...

नेता जी के जन्मवर्ष पर
पुनः अपील करता हूं जनता
अब तक पृथ्वी पर भारत है
मैं तो तुमको वादे दूंगा, नारे दूंगा..
आश्वासन और खादी दूंगा...
तुम मुझे वोट दो..
मैं तुम्हें बरबादी दूंगा...
तुम मुझे वोट दो..मैं तुम्हें बरबादी दूंगा.
..बहुत सुन्दर व्यंग्य है। बधाई

ताऊ रामपुरिया said...

तुम मुझे वोट दो..
मैं तुम्हें बरबादी दूंगा...


बहुत शानदार सिक्सर दिया सै भाई !
बधाई और शुभकामनाएं !

L.Goswami said...

sundar rachna :-)

योगेन्द्र मौदगिल said...

आप सभी की टिप्पणियां मुझे बहुत ऊर्जा देती हैं.
नये भावों-बिम्बों के लिये उद्वेलित करती हैं.
अक्सर इस स्थिती में मेरा शब्द सामर्थ्य चूकता सा प्रतीत होता है कि आप सभी के लिये किन शब्दों का प्रयोग कर सम्मान जताऊं ? अभी तक जो जो ब्लागरमित्र-स्नेही जन मेरे ब्लाग को पढ़ते हैं,
मैं उन सब के प्रति कृतग्यता ग्यापित करता हूं.
विश्वास है सिलसिला चलता रहेगा....

Smart Indian said...

तुम मुझे वोट दो...मैं तुम्हें बरबादी दूंगा

सत्य वचन!

Mumukshh Ki Rachanain said...

भाई मौदगिल जी,

प्रस्तुत सभी क्षणिकाएं एक से बढ़ कर एक हैं. मै भी रव में में आ कर एक क्षणिका बना बैठा. आपको समर्पित है................
कवि जी भी
रहे कब किस से कम
हाथ में ही लेकर जाम
गए मंच पर जम

चन्द्र मोहन गुप्त