मौदगिल जी, "आदमी" को जिस भी भले जीव ने गाली के शब्दकोष में स्थान दिया उसे तो सम्मान मिलना चाहिए कारण कि भगवन राम ने रावण का अंत करने के लिए किसी भी अन्य आदमी नामक जीव का सहारा नही लिया, और यदि लिया भी ( विभीषण का) तो वह आदमी के नम पर कलंक हो गया. अच्छी हास्य रचना प्रस्तुति के लिए धन्यवाद.
ऊर्जस्वी एवं बेबाक टिप्पणियां मनोबल बढ़ाती हैं. बहुत अच्छा लगता है रचनाऒं पर आपके विचार जान कर. कृपा बनाए रखियेगा. मैं भी कलम चलाता रहूंगा पानीपत में बिजली की घनघोर समस्या है. इस कारण उन सभी ब्लाग्स पर कईं बार मैं टिप्पणी नहीं कर पाता पर पढ़ता हूं. इसलिये उदारतापूर्वक क्षमा करें आप सभी अपने हैं, इसलिये आभार नहीं प्यार व्यक्त करता हूं..
12 comments:
सरल शब्दों में कहूँ तो हम पब्लिक हैं सब जानते हैं पर बोलते नहीं!
योगेन्द जी,क्षणिकओ ने बहुत कुछ कह दिया, धन्यवाद, विन्य प्रजापति जी की टिपण्णी भी सही कह रही हे.
सही कहा विनय जी ने, लेकिन कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया आपने भी।
sateek,badhai aapko
बेहतरीन चोट करती क्षणिकायें. बधाई.
एक गधे ने,
दूसरे गधे को,
गाली दी..
'हट्ट साला आदमी...'
"ha ha ha what to say, great"
Regards
मौदगिल जी,
"आदमी" को जिस भी भले जीव ने गाली के शब्दकोष में स्थान दिया उसे तो सम्मान मिलना चाहिए कारण कि भगवन राम ने रावण का अंत करने के लिए किसी भी अन्य आदमी नामक जीव का सहारा नही लिया, और यदि लिया भी ( विभीषण का) तो वह आदमी के नम पर कलंक हो गया.
अच्छी हास्य रचना प्रस्तुति के लिए धन्यवाद.
चन्द्र मोहन गुप्त
sahi kaha guruvar.....
wah, bahut hi sundar dhang se aapne kataaksh kiya hai..
majaa aa gaya padh kar..!!
ऊर्जस्वी एवं बेबाक टिप्पणियां मनोबल बढ़ाती हैं.
बहुत अच्छा लगता है रचनाऒं पर आपके विचार जान कर.
कृपा बनाए रखियेगा.
मैं भी कलम चलाता रहूंगा
पानीपत में बिजली की घनघोर समस्या है.
इस कारण उन सभी ब्लाग्स पर कईं बार मैं टिप्पणी नहीं कर पाता
पर पढ़ता हूं.
इसलिये उदारतापूर्वक क्षमा करें
आप सभी अपने हैं,
इसलिये आभार नहीं प्यार व्यक्त करता हूं..
वँदे मातरम्`
सही लिखा है !
- लावण्या
एक गधे ने,
दूसरे गधे को,
गाली दी..
'हट्ट साला आदमी...'
भाई यो गाली देण आले गधे का तो
हमनै बेरा सै ! यो इब्बी ..... बैठ्या सै ! :)
सुन्दरतम ! तारीफ़ के लिए शब्द नही हैं !
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