ग ज ल

फै़शनों की झड़ी हो गई.
मेंढकी जलपरी हो गई.

उसको आईना खोटा लगा,
उसकी नीयत बुरी हो गई.

हमने ज़ाहिद को न्यौता दिया,
हमसे भी काफ़िरी हो गई.

ये गरीबी का परिणाम है,
दोस्ती मनचली हो गई.

वक्त का सामना जो हुआ,
बेखुदी किरकिरी हो गई.

रेत पर भी लगी लोटने,
मछलियां बावरी हो गई.

उसने घूंघट जो सरका दिया,
हर तरफ चांदनी हो गई.

चौक पर एक डिब्बा मिला,
शहर में सनसनी हो गई.

कृष्ण अधरों ने वंशी छुई,
गीत रस रागिनी हो गई.

खर्च हमने किया भी नहीं,
फिर भी सर पेशगी हो गई.

आप महलों में रहने लगे,
आप में हेकड़ी हो गई.

तख्तिया, कापियां, पैंसिलें,
जेब से दिल्लगी हो गई.

ढूंढने वो लगे आश्रम,
क्या बहू सिरफिरी हो गई ?

आज फिर ना मिली नौकरी,
फिर हवा खुरदरी हो गई.

मीरा ने पी लिया फिर ज़हर,
प्रीत फिर बावरी हो गई.

दुश्मनों की जरूरत नहीं,
आपसे दोस्ती हो गई.

सिलसिले, दोस्ती, काफ़िले,
रौशनी-रोशनी हो गई.

देखते, देखते, देखते,
ज़िन्दगी त्रासदी हो गई.

गज़ले कहने लगे 'मौदगिल',
ज़िन्दगी-ज़िन्दगी हो गई.
--योगेन्द्र मौदगिल

15 comments:

राजीव रंजन प्रसाद said...

हर शेर गुनगुना कर पढा है, हर शेर गहरे डुबाता है। आपकी लेखनी को सादर नमन...


***राजीव रंजन प्रसाद

Advocate Rashmi saurana said...

vakai me bhut sundar badhai ho.

Vivekk singh Chauhan said...

bhut khub. ati uttam. likhte rhe.

Anil Pusadkar said...

itni sachhi aur zindaa Gazal,har sher zamane ka kadua sach bol raha hai,deewane ho gaye aapke hum.badhai ho

डाॅ रामजी गिरि said...
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डाॅ रामजी गिरि said...

"ये गरीबी का परिणाम है,
के दोस्ती मनचली हो गई."

बेबस जिंदगानी पर बेबाक बयानी...

seema gupta said...
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seema gupta said...

फै़शनों की झड़ी हो गई.
मेंढकी जलपरी हो गई.
"ha ha ha ha ha ye sher subse accha lga"

नीरज गोस्वामी said...

रेत पर भी लगी लोटने,
मछलियां बावरी हो गई.
तख्तिया, कापियां, पैंसिलें,
जेब से दिल्लगी हो गई.
गज़ले कहने लगे 'मौदगिल',
ज़िन्दगी-ज़िन्दगी हो गई.
भाई जी...कमाल कर दिया आपने...इतने सारे शेर और सारे ही एक से बढ़ कर एक...क्या बात है...मान गए.
नीरज

डॉ .अनुराग said...

उसको आईना खोटा लगा,
उसकी नीयत बुरी हो गई.

हमने ज़ाहिद को न्यौता दिया,
हमसे भी काफ़िरी हो गई.
vah bahut khoob......ye hui na kuch baat...

ताऊ रामपुरिया said...

मेंढकी जलपरी हो गई.

भाई गज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्जब !!
प्रणाम आपको ! नत मस्तक भी हूँ !!

Udan Tashtari said...

उसको आईना खोटा लगा,
उसकी नीयत बुरी हो गई.


--बहुत उम्दा गज़ल!! वाह!!

राज भाटिय़ा said...

आज ह से यह केसे अन्देखी हो गई..
योगेन्द्र जी बहुत ही खुब्सुरत शायरी, मेने एक दो बार नही बहुत बार पढा ओर मजा आ गया,
ढूंढने वो लगे आश्रम,
क्या बहू सिरफिरी हो गई ?
हमेसा की तरह से बातओ बातो मे क्या कुछ कह दिया आप ने.धन्यवाद

योगेन्द्र मौदगिल said...

आप सभी का आभारी हूं बंधुऒं

vipinkizindagi said...

bahut achchi....
bahut sundar....
behatarin